जगत जननी माता का अलौकिक शक्तिपीठ मैहर 

जगत जननी माता का अलौकिक शक्तिपीठ मैहर 

मैहर [ महामीडिया ] म.प्र. के कटनी जिला मुख्यालय से महज 63 कि.मी. दूर मैहर मां शारदा देवी का मंदिर है, जहां नवरात्रि के 9 दिनों तक भक्तों का मेला लगता है. विश्व प्रसिद्ध मंदिर को देश में 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माना जाता है. मैहर मां शारदा देवी विंध्य पर्वत श्रेणियों के मध्य त्रिकूट पर्वत पर विराजमान हैं. मां शारदा ने अपने परम भक्त आल्हा को अमरता का वरदान दिया था. मां शारदा के प्रथम भक्त आल्हा की महिमा भी अलौकिक है.कहा जाता है कि आज भी मां की प्रथम पूजा आल्हा ही करते हैं. इतना ही नहीं, नवरात्रि के दिनों में आल्हा के द्वारा विशेष पूजा करने की भी बात प्रचलित है. बता दें कि मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 1063 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है. इसके अलावा वर्तमान में रोप वे के माध्यम से भी श्रद्धालु मां के दरबार तक पहुंचते हैं. नवरात्रि में माता के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगता है. माता सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.मैहर मां शारदा देवी ने भक्त आल्हा को अमर होने का वरदान दिया है. आल्हखंड के नायक आल्हा उदल दो सगे भाई थे. जो मां शारदा के अनन्य उपासक थे. आल्हा उदल ने ही सबसे पहले जंगल के बीच मां शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी. इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर में 12 साल तक तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया था. माता ने उन्हें प्रसन्न होकर अमर होने का वरदान दिया था. ऐसी मान्यता है कि आल्हा ब्रह्म मुहूर्त में मां की विशेष पूजा करते हैं, जिसका प्रमाण आज भी मां के पट खोलने पर सुबह मिलता है. कभी मां की प्रतिमा पर फूल, कभी श्रृंगार, कभी जल चढ़ा हुआ मिलता है.मंदिर परिक्षेत्र में आल्हा देव के मंदिर के साथ आल्हा का अखाड़ा भी है. यहां आज भी भक्तों को उनकी अनुभूति होती है. आल्हा माता के परम भक्त माने जाते हैं. मैहर मां शारदा के मंदिर में जो भी भक्त पूजा अर्चना करने आते हैं, वह भक्त आल्हा की पूजा-अर्चना अवश्य करते हैं. कहते हैं कि आल्हा के दर्शन के बिना मां शारदा के दर्शन अधूरे हैं. मान्यता है कि यहां पर माता सती का हार गिरा था, जिसकी वजह से मैहर का नाम पहले मां का हार अर्थात माई का हार गिरने से माईहार हो गया, जो अपभ्रंश होकर मैहर नाम पड़ गया. इसलिए 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ मैहर मां शारदा देवी के मंदिर को माना जाता है. यहां आज भी माई के हार की अखंड ज्योति जल रही है.मैहर मां शारदा देवी का अद्भुत श्रृंगार किया जाता है, जिसमें सोमवार को माई का सफेद रंग के वस्त्र से श्रृंगार होता है. मंगलवार को नारंगी रंग के वस्त्र, बुधवार को हरे रंग के वस्त्र, गुरुवार को पीले रंग के वस्त्र, शुक्रवार को नीले रंग के वस्त्र, शनिवार को काले रंग के वस्त्र और रविवार को लाल रंग के वस्त्र से माई का अद्भुत श्रृंगार किया जाता है.

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