विवाह पंचमी पर्व की मान्यता
भोपाल [ महामीडिया] विवाह पंचमी मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाई जाती है, जिसका हिंदू परंपराओं में बहुत महत्व है। यह पावन दिन भगवान राम और मां सीता के दिव्य मिलन का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इसी तिथि में राम-सीता का विवाह हुआ था। हर साल इस तिथि को लोग भगवान राम और देवी सीता की शादी की सालगिरह के रूप में मनाते हैं। विवाह पंचमी के पर्व को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और माता सीता की शादी की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा-अर्चना करने से वैवाहिक जीवन सदैव सुखमय होता है और पत्नी-पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है।