गणपति बप्पा का प्रतीक स्वस्तिक
भोपाल [ महामीडिया] गणेश जी का प्रतीक स्वस्तिक है। स्वस्तिक को शुभता का प्रतीक माना जाता है और इसे बनाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। गणेशजी प्रथम पूज्य देव हैं, इस कारण पूजन की शुरुआत में स्वस्तिक बनाने की परंपरा है।स्वस्तिक को बनाने का तरीका-स्वस्तिक को कुमकुम, चंदन, हल्दी, या गोबर से बनाया जाता है। दो सीधी रेखाएं एक-दूसरे को काटते हुए आगे चलकर जब अपने दायीं ओर मुड़ें, तब ही इसका स्वरूप कल्याणकारी बनता है। बायीं ओर मोड़कर बनाना अशुभ माना जाता है।
- स्वस्तिक से जुड़ी मान्यताएं:
- स्वस्तिक में चारों बिंदियों में गौरी, पृथ्वी, कूर्म (कछुआ), और अनंत देवताओं का वास होता है।
- स्वस्तिक की चार रेखाएं ब्रह्माजी के चार सिरों को दर्शाती हैं।
- स्वस्तिक के बाएं हिस्से में 'गं' बीजमंत्र होता है, जिसे श्रीगणेश का स्थान माना गया है।
- स्वस्तिक बनाने से जीवन और कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
- स्वस्तिक बनाने से सभी धर्म-कर्म सफल होते हैं।
- स्वस्तिक बनाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- स्वस्तिक बनाकर पूजा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।