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खरमास का आध्यात्मिक पक्ष
भोपाल [महामीडिया] ग्रहों के राजा सूर्य 16 दिसंबर को सुबह 4 बजकर 26 मिनट पर गुरु की राशि धनु राशि में प्रवेश कर जाएंगे जिसके चलते खारमास प्रारंभ हो जाएगा। सूर्य धनु राशि में 14 जनवरी तक रहेंगे फिर इसके बाद मकर राशि में गोचर होंगे यानी मकर संक्रांति पर खरमास समाप्त हो जाएगा । खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि करना वर्जित हो जाता है। 16 दिसंबर को ग्रहों के राजा सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे जिसके कारण एक माह के लिए खरमास आरंभ हो जाएंगे। 2025 में खरमास 16 दिसंबर सुबह 4:26 से शुरू होकर 14 जनवरी मकर संक्रांति तक चलेगा। इस दौरान सूर्यदेव को अर्घ्य देना, जप-तप, दान, गंगा स्नान और सेवा को अत्यंत शुभ माना जाता है जबकि नए कार्यों की शुरुआत और मांगलिक कार्य निषिद्ध होते हैं । सूर्य भगवान नवग्रहों के प्रमुख है। सूर्य क्रमानुसार 12 राशियों में गोचर (भ्रमण) करते हैं जिसके कारण सभी ग्रहों की सापेक्ष स्थिति परिवर्तित होती है और इसका लोगों पर शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है। जब सूर्य भगवान गुरु बृहस्पति की राशि अर्थात मीन और धनु में प्रवेश करते हैं। तब सूर्य के बृहस्पति की राशि में प्रवेश करने और प्रस्थान करने के समय अंतराल को खरमास कहते हैं। चूँकि बृहस्पति ग्रह की दो राशियाँ हैं तथा सूर्य इन दोनों राशियों (मीन एवं धनु) में वर्ष के अलग-अलग समय पर प्रवेश करते हैं। अतः एक वर्ष में दो बार खरमास आते हैं। हिन्दुओं के चंद्र कैलेंडर के अनुसार, खरमास फाल्गुन-चैत्र और मार्गशीर्ष-पौष महीनों के बीच आता है। अर्थात अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह मार्च-अप्रैल और दिसंबर-जनवरी के बीच आता है। जब भी सूर्य भगवान बृहस्पति की राशि मीन और धनु में आते हैं तो खरमास होता है। इस दौरान धार्मिक कार्य यानी पूजा-हवन तो किए जा सकते हैं लेकिन कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जा सकता है।