सृष्टि के संचालन के लिए अर्द्धनारीश्वर की पूजा
भोपाल [ महामीडिया] शिव जी और देवी पार्वती के सम्मिलित स्वरूप को अर्द्धनारीश्वर कहा जाता है। इस स्वरूप में आधा शरीर शिव जी का और आधा देवी पार्वती का रहता है। इस संबंध में शिवपुराण की एक कहानी है। ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे और जब-जब उनके काम में कोई प्राकृतिक बाधा आ रही थी, तब-तब शिव जी उनकी मदद कर रहे थे।ब्रह्मा जी के सामने एक समस्या ये आई कि संसार को आगे कैसे बढ़ाया जाए। प्राणियों की मृत्यु के बाद बार-बार प्राणियों की रचना करना मुश्किल हो रहा था। ब्रह्मा जी सोचने लगे कि कैसे ये सृष्टि अपने आप संचालित हो सकती है। ब्रह्मा जी अपनी समस्या लेकर शिव जी के पास पहुंचे। उस समय शिव जी ने अर्द्धनारीश्वर अवतार लेकर ब्रह्मा जी को संदेश दिया था कि संसार को आगे बढ़ाने के लिए स्त्री-पुरुषों की सृष्टि की रचना करनी चाहिए। इस सृष्टि में स्त्री और पुरुष दोनों समानता से भूमिका निभाएंगे।