आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा

भोपाल [ महामीडिया] आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा-उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन 'गति चक्र' में अवस्थित रहता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि मां कूष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की है। मां सूर्यमंडल में अवस्थित लोक में निवास करती हैं। अत: मां के मुखमंडल से तेज प्रकट होती है। इससे समस्त ब्रह्मांड प्रकाशवान रहता है। धार्मिक मान्यता है कि मां कूष्मांडा की पूजा करने से साधक को शारीरिक और मानसिक विकारों से मुक्ति मिलती है। मां अष्टभुजा धारी हैं। अपने हाथों में धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, कमंडल,चक्र तथा गदा धारण की हैं। मां एक हस्त में माला धारण की हैं। इससे सर्वस्त्र लोक का कल्याण होता है। अतः ममतामयी मां कूष्मांडा की पूजा श्रद्धा भाव से करनी चाहिए। 

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