चलते जाना है

समय की अपनी गति है और हमारी गति। अपने स्वप्नों और लक्ष्यों को प्राप्त करने का भी प्रयास करना हो, किसी आदत को छोड़ना हो, अवसाद व व्याकुलता से पार पाना हो, हममें से किसी के लिए ऐसा करना चुनौतीपूर्ण होता है। हमारे अंदर के कुछ भय, हमारी सीमाएं, कड़वे अनुभव समय-समय पर बाहर आ जाते हैं। यह अच्छी बात भी है, इससे हमें उनसे निकलने में सहायता मिलती है। हम अपने भीतर के सच को देख पाते हैं। अपनी सहज आत्मिक ऊर्जा के प्रवाह का आनंद ले पाते हैं। हम क्या बन सकते हैं, हमारे पास क्या हैं? हमारे अनुभव कैसे हैं? हम क्या कर रहे हैं? और हम क्या करते हैं? आदि अपने बारे में सही ढंग से समझने के लिए हमें आरामदायक क्षेत्र अर्थात् सुरक्षित घेरे को छोड़ना पड़ता है। अधिकतर लोग अपने घेरे से बाहर नहीं निकलना चाहते। यह सरल भी होता है, क्योंकि हम प्रत्येक वस्तु से परिचित होते हैं। पर क्या ऐसा सच में होता है? क्या हम भायभीत होते हैं कि दूसरे क्या कहेंगे? हां, हमें असफल होने का भय भयभीत करता है। यहां तक कि कुछ लोगों में सफल होने का भय भी होता है। कई बार, हम स्वयं को श्रेष्ठ जीवन जीने के योग्य ही नहीं समझते। किंतु आपको इस जाल में नहीं फंसना है। जितना आप स्वयं को समझते हैं, उससे कहीं अधिक सुदृढ़ हैं। वास्तव में, हम अपनी क्षमताओं को जानते ही नहीं। हम अपने मन और भावों की परतंत्रता से स्वतंत्र होने के लिए तैयार हो जाएं, तो बहुत कुछ नया सीख सकते हैं। अपनी अधिकतम क्षमताओं तक पहुंच सकते हैं। हम चाहते हैं कि यह सब सरलता से प्राप्त हो जावे। वैसे यह भी हो सकता है, अगर हम इसे खेल मान लें। यहां हम हारने के बाद, अगले दिन फिर खेल खेलने के लिए तैयार हो जाते हैं। पर, वास्तविक जीवन
में अगर कोई व्यतीत अनुभव ऐसा है, जो अच्छा नहीं रहा हो तो हम आगे करने से बचने लगते हैं। पैसा, प्रेम, सफलता और लक्ष्य ऐसा प्रत्येक क्षेत्र में होता है। इसमें अवचेतन मन की भी भूमिका होती है। हम कैसे सम्मिलित हो सकते हैं, यदि हम एक ही प्रकार की चीजें बार-बार करते रहें, बिना यह देखें कि जिस भूमि के ऊपर हम खड़े हैं, वह कैसी है? हम कैसे आत्मिक प्रेम का अनुभव कर सकते हैं, अगर हम दु:ख, दर्द और भय से भरे रहते हैं? इसी कारण किसी के निकट भी नहीं जा पाते। जो, हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण संबंध है, हमारा स्वयं के साथ का संबंध। यह दैवीय सत्ता के लिए हमारे प्रेम से जुड़ा है। फिर से, किसी से दु:ख न मिल जाए, इससे बचने के लिए अगर हम सबसे दूर जाते रहेंगे तो किसी के निकट नहीं हो सकेंगे। हमें उन सब लोगों को
धन्यवाद करना चाहिए, जिसके कारण जाने-अनजाने में यह जान सके कि अंतत: हमारे अंदर क्या चल रहा है। भीतर ऐसी कौन-सी चीजें हैं, जिन्हें प्रेम और हीलिंग की आवश्यकता है। सामान्यत: हमें पता ही नहीं कि कौन-सी बात किसे कठिनाई में डाल सकती है। ऐसे में सबको प्रसन्न करने का सदैव सही बात कहने के प्रयास में हम नष्ट होने लगते हैं। स्वयं को समय दें- क्या आप स्वयं को अटका हुआ, फंसा हुआ अनुभव कर रहे हैं? क्या आप लत, अवसाद, बेचैनी, भय से घिरे हैं? हां, तो हम सभी ऐसी ही स्थितियों से गुजर चूके हैं। कितनी ही बार हमारी अपनी राय, भय और गुजरे समय के दर्द में हमें अटकाए रखती हैं। अगर यही आपके साथ हो रहा है, तो कुछ है, जो आप कर सकते हैं। अपने उस कमजोर भाग के साथ स्नेह से समझाया करें। उसे
सुनें। उसे बताने दें कि आपके अंदर क्या चल रहा है और उससे पूछें कि सुरक्षित, शांत और प्रेम अनुभव करने के लिए आपके तन और मन को किस वस्तु की आवश्यकता है। किंतु इसके लिए आपको अपनी भावनाओं को अनुभव करना होगा। आपको स्वयं के साथ सत्यवान रहना होगा। यह देखना होगा कि आप अपने शरीर और स्वास्थ्य की देखभाल कैसे कर रहे हैं। आपको अपने भीतर असहज करने वाली बातों का सामना करने का उत्साह उत्पन्न करना होगा और कुछ नया करना होगा। सीधी बात है, अगर आपका कोई लक्ष्य है, कोई इच्छा है, तो इससे आपके भीतर कुछ कर गुजरने की आग उत्पन्न करनी होगी। यह आपका भीतरी रूप है, जो आपको बता रहा है कि यह करना आपके लिए सही है। यह आवाज, यह भी कह रही है कि अब आप उस कठिनाई से बाहर निकलने के लिए तैयार हैं, जिसमें आपने स्वयं को आगे बढ़ा दिया था। इसी से आप अपने जीवन को भरपूर जीन के लिए स्वयं को स्वतंत्र अनुभव करेंगे। यहां यह भी ध्यान रखने की आवश्यकता है कि हीलिंग तब होती है, जब हम इसके लिए तैयार होते हैं। यह स्वयं को मजबूर करने या ठीक होने के लिए इधरउ धर भटकने की बात नहीं हैं। सहज ही सही, समय पर आपको संकेत भी मिलने लगते हैं। बस हमें स्वयं को समय देने की आवश्यकता होती है। किंतु हम स्वयं की शीघ्र उन्नति के लिए बेचैन हो उठते हैं। कई बार हम पीड़ा को संपूर्ण रूप से संभालने के लिए तैयार नहीं होते। धीरे-धीरे, एक-एक पर्त के उतरने के साथ ही हम
स्वतंत्र होते हैं, यही सहज प्रवाह रूका हुआ है। हमारा एक भाग समय के साथ ही कहीं जम गया है, थम गया है और हम, निरंतर गुजरे समय से घायल हुए ही बर्ताव करते जा रहे हैं। इस कारण हमारे आगे जो है, जो हम प्राप्त कर सकते हैं, वह करने से रुक जाते हैं। अपने आने वाले समय से दूर हो जाते हैं। अंदर के इस घाव पर अपने स्ने का छिड़काव करें। ऐसा करके हम अपने लिए अधिक मजबूत व श्रेष्ठ संसार बना सकेंगे, जहां हम अधिक स्वतंत्र और आनंदित अनुभव करेंगे। हमारे जीवन में एक मार्गदर्शक की आवश्यकता सदैव बनी रहती है जो हमारे निर्णयों में सहयोग करे तो वह मार्गदर्शक है। भावातीत ध्यान योग शैली का नियमित अभ्यास जो हमारी चेतना को जागृत कर हमारे लिए जीवन आनंद का मार्ग प्रशस्त करे।

- - ब्रह्मचारी गिरीश

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