सफल जीवन 

भोपाल (महामीडिया) एक बार अर्जुन ने कृष्ण से पूछा- हे माधव.. ये ‘सफल जीवन’ क्या होता है?, कृष्ण, अर्जुन को पतंग उड़ाने ले गए। अर्जुन, कृष्ण को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहे थे। थोड़ी देर बाद अर्जुन बोले- माधव ये धागे के कारण पतंग अपनी स्वतंत्रता से और ऊपर की ओर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें? ये और ऊपर चली जाएगी। कृष्ण ने शीघ्र धागा तोड़ दिया। पतंग थोड़ा-सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आने लगी और दूर अनजान स्थान पर जा कर गिर गई। तब कृष्ण ने अर्जुन को जीवन का दर्शन समझाया। पार्थ ‘जीवन में हम जिस ऊँचाई पर हैं। हमें प्राय: लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं; जैसे: घर, परिवार, अनुशासन, माता-पिता, गुरु और समाज और हम उनसे स्वतंत्र होना चाहते हैं। वास्तव में यही वो धागे होते हैं- जो हमें उस ऊँचाई पर बना के रखते हैं। ‘इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो बिन धागे की पतंग का हुआ।’ अत: जीवन में यदि आप ऊँचाइयों पर बने रहना चाहते हैं तो, कभी भी इन धागों से सम्बंध मत तोड़ना।’ धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊँचाई को ही ‘सफल जीवन कहते हैं।’ सम्बंध का मतलब सिर्फ समझौता नहीं, सम्बंध निभाना सरल नहीं, इसके लिए कड़ा परिश्रम करना पड़ता है। किंतु इसका अर्थ ये नहीं कि सम्बंध निभाने के लिए प्रत्येक मोड़ पर आप समझौते करते चलें। समझौता और सामंजस्य, ये दोनों एक उत्तम सम्बंध के लिए आवश्यक हैं। पारिवारिक रिश्तों का प्रबंधन सदैव सरल नहीं होता है परिवार जीवन के परामर्श एक ऐसा स्थान है जहाँ आप समस्याओं और चिंताओं पर खुलकर परामर्श ले सकते हैं। चाहे आप माता-पिता का उत्तरदायित्व पर सहमत होने के लिए संघर्ष कर रहे हों, अपने साथी या जीवनसाथी से जुड़ने में परेशानी हो या अपने बच्चे के साथ संवाद करने में सहायता की आवश्यकता हो, इन चुनौतियों के बारे में बात करने से आपको सकारात्मक समाधान खोजने में सहायता मिलती है। हम सभी अपने जीवन में व्यक्तिगत एवं पारिवारिक सम्बंधों में समस्याओं का अनुभव करते हैं। किंतु सत्य तो यह है कि हम सभी एक दूसरे से अलग हैं। अगल व्यवहार और अलग अनुभवों के साथ जब आप किसी के साथ सम्बंध निभाते हैं, तो कई बार कुछ परेशानियाँ आ सकती हैं। ऐसे में आप अगर सचमुच अपने सम्बंध को साधना चाहते हैं और उसके साथ बना रहना चाहते हैं, तो आपको आवश्यकता है कुछ बिंदु की जो आपके सम्बंधों को और मजबूत बना सकते हैं। जैसे किसी भी सम्बंध की नींव होता है विश्वास। भले ही वह प्यार का सम्बंध हो या मित्रता का। अपने सम्बंधों में विश्वास बनाएँ रखें। साथी पर विश्वास करें और स्वयं भी कोई ऐसा कार्य न करें जो साथी का विश्वास टूटे। सम्बंधों में सत्यनिष्ठा को बनाये रखें और अपने साथी के प्रति सच्चाई और सत्यनिष्ठ से सम्बंध निभाएँ। हर किसी को अपना आत्मसम्मान प्यारा होता है। किंतु अगर आप बार-बार उसके आत्मसम्मान पर प्रहार करेंगे तो यह पलट कर भी आ सकता है, जो सम्बंध के लिए घातक सिद्ध होगा। अत: अपने साथी का सम्मान करें। बहुत आवश्यक है, कि आप अपने सम्बंधियों से बात करें। भले ही आप कितने ही व्यस्त रहते हों, किंतु समय निकालें और अपने सम्बंधियों से बात करें। अगर आप चाहते हैं कि आपका साथी प्रतिज्ञापालक रहे, तो उसके लिए आपको स्वयं प्रतिज्ञापालक बने रहना होगा। ऊपर जितनी भी बातें हमने आपको बताई वह प्रत्येक सम्बंध के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। प्रत्येक सम्बंधी को प्रसन्नता का अनुभव कराएँ। जीवन में किसी चीज से समझौता नहीं करना चाहिए। किंतु जब बात सम्बंधों की हो तो जीवन सिद्धांत में क्षणिक परिवर्तिन कर देने चाहिए। अपने सम्बंधी को अपने साथ सुरक्षित अनुभव कराएँ। कहते हैं न कि जो आपका साथ कठिनाई में दे उसका साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। तो बस किसी भी सम्बंध को दृढ़ बनाने वाला है विश्वास। जो प्रत्येक परिस्थिति में साथ बना रहता है। एक अच्छा और श्रेष्ठ सम्बंध आपको प्रसन्नता और विश्वास देता है, अयोग्य या अपूर्ण नहीं बनाता। ऐसे में अगर आपका सम्बंध आपसे आपका आत्मविश्वास छीन रहा है तो इसका अर्थ है कि अपने सम्बंध के लिए आपका बलिदान बहुत अधिक है। हम सबकी अपनी आस्था होती है फिर चाहे वो धार्मिक हो या आध्यात्मिक। ऐसे में अगर कोई आपको अपनी आस्था छोड़ने या परिवर्तिन के लिए दबाव डालता है तो ये आपके लिए चेतावनी हो सकती है। सम्बंधों में आवश्यक है कि प्रत्येक सम्बंध में स्वयं की स्वतंत्रता हो, वो कार्य करने की जो आप करना चाहते हों। सम्बंध का आधार सच्चाई और विश्वास होता है। परिवर्तन, उन्नति के लिए होते हैं किंतु इसका अर्थ ये नहीं कि आप अपना मूल व्यक्तित्व खो दें। क्योंकि अंतत: आपका व्यक्तित्व ही था जिसे पहली दृष्टि में आपके सम्बंधी ने पसंद किया था। अपने सम्बंधी के स्वप्नों को अपना बनाना और उसे पूरा करने में उनकी सहायता करना अच्छी बात है। किंतु इसका अर्थ ये नहीं कि आप अपने स्वप्नों और लक्ष्य को भूल जाएँ जिसे आप सदैव पाना चाहते थे। आपके साथ जब दो लोग रहते हैं तो स्पष्ट है निर्णय भी दोनों के ही होने चाहिए। प्रत्येक निर्णय में किसी एक का एकाधिकार गलत है। ऐसे में इस बात का ध्यान रखें कि आपके द्वारा लिए गए निर्णय का सम्मान हो। सफल जीवन की शुभकामनाओं के साथ।
जय गुरुदेव, जय महर्षि

 

- ब्रह्मचारी गिरीश

अन्य संपादकीय