संपादकीय : प्रयास - अभ्यास - परिवर्तन

भोपाल [महामीडिया] हम प्रेरित होकर नवीन कार्य नहीं करते, कुछ नया करके ही प्रेरित होते हैं। प्रतिदिन अभ्यास करना, बिना यह सोचे कि आज का परिणाम क्या होगा ? सबसे सच्चा नियम है जिसे हम 'रचनात्मकता' कहते हैं। जब आप नित्य अभ्यास को अपना लक्ष्य बनाते हैं, तो परिणाम स्वयं बनकर निकलता है। प्राय: हम यह सोचते हैं कि प्रेरणा पहले आएगी और फिर कार्य होगा; पर मूलत: उलट है। हम कुछ नवीन कार्य करके ही प्रेरित होते हैं। प्रतिदिन कुछ नया करने का निर्णय लें। इस प्रक्रिया को महत्व दें और जानें कि आपका यह नियम ही एक नए कौशल को जन्म दे सकता है। साहस वह है, जो सच्चाई के समीप ले जाए। कमजोरी, डर नहीं है, यह वह साहस है जो हमें इंसान बनाता है। जब हम यह स्वीकार करते हैं कि हम पूर्ण नहीं हैं, तब हम दूसरों के प्रति अधिक दयालु बनते हैं। जो व्यक्ति खुलकर कहता है- 'मुझे नहीं पता', या 'मैं गलत था', वही बहादुर है। सच्चा साहस वही है जो हमें सच्चाई के समीप लाता है। दुनिया को उन लोगों की आवश्यकता नहीं है, जो पूर्ण हैं परंतु उन लोगों की आवश्यकता अधिक है, जो सहज और सच्चे हैं। सुखी और स्वस्थ भविष्य के लिए क्या विकल्प चुनें? अगर आपको अभी एक ऐसा विकल्प चुनना हो जिससे आपका भविष्य स्वस्थ और सुखी बने तो आप प्रत्येक महीने क्या करेंगे? बचत बढ़ाएँगे? अपना कार्यस्थल बदलेंगे? यात्रा करेंगे? या स्वयं पर कार्य करेंगे। जीवन बहुत छोटा है; यहाँ मात्र स्वयं पर कार्य करने का समय है, वह भी कम है। लोगों को अपने अनुसार बनाने का प्रयास न करें। आपके बच्चे उस कार्य में सम्मिलित नहीं होना चाहते जो आपने तय किया था, 'कोई बात नहीं'। बहुत समय और ऊर्जा ऐसे लोगों से की गई उम्मीद करने में नष्ट होती है, जो आपके अनुसार नहीं चलना चाहते। कोई आपकी आवश्यकता के अनुसार नहीं दिख रहा, तो उसे परिवर्तित करने का प्रयास न करें। आप निश्चित करें कि आपको आगे क्या करना है? सफलता कभी पैसों से नहीं आँकी जा सकती। असली सफलता यह है कि स्वयं लोगों को प्रेरित करें एवं नया सोचें। अगर हम अपने कमरे की दीवार पर किसी स्थान या कार्य का चित्र लगाते हैं और यह सोचते हैं कि वह एक दिन वहाँ जायेंगे या वह कार्य करेंगे तो यही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। जब कभी हम सब से पूछा जाता है कि इतना बड़ा संकट क्यों उठा रहे हो। हमारा उत्तर सरल होना चाहिए... सबसे बड़ा संकट तो कुछ नया न करना है। अगर आप गल्तियाँ करने से डरते हैं, तो कुछ बड़ा नहीं कर सकते। हमने असफलताएँ देखी हैं, किंतु हर असफलता एक सबक लेकर आती है। असफलता कष्ट देती है, किंतु वही कष्ट आपको सुदृढ़ बनाता है। अगर सब कुछ सरल होता, तो कोई परिवर्तन नहीं होता। संकट उठाएँ, प्रश्न पूछें और कभी मत मानें कि आप किसी बड़े कार्य के लिए छोटे हैं। प्रत्येक परिवर्तन का प्रारंभ ऐसे व्यक्ति से हुआ, जिसने कहा कि मैं प्रयास करूँगा। अगर आप यह कहने का साहस रखते हैं, तो भविष्य आपका है। परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी सदैव ही प्रत्येक दिन का शुभारंभ ''भावातीत ध्यान-योग'' के अभ्यास करने को प्रेरित करते थे क्योंकि प्रतिदिन प्रात: एवं संध्या के समय 10 से 15 मिनट का ध्यान हमारे जीवन में आनंद, उत्साह एवं अतुलनीय साहस का संचार करता है, जो हमारे जीवन को आनंदमय बनाता है।

।।जय गुरूदेव जय महर्षि।।

[ब्रह्मचारी गिरीश जी]

- ब्रह्मचारी गिरीश जी

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