जनरल रावत को हमारी हार्दिक श्रद्धांजलि और अगले सीडीएस से विनम्र अनुरोध की भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक रोकथाम विंग स्थापित करे 

भोपाल [ महामीडिया] “हेयम् दुःखम् अनागतम्' एक प्रसिद्ध योग सूत्र है जिसका अर्थ है कि जो दुख अभी भविष्य में आने वाले है उसे पहले से ही रोका जाए या टाल दिया जाए। 
जिस पीड़ा का हम पहले ही सामना कर चुके हैं या जिससे पहले ही गुज़र चुके हैं, वह इतनी पीड़ादायक नहीं है जितना भविष्य के दर्द का डर, जिसे समाज की सामूहिक चेतना में समरसता-सत्व और सकारात्मक ऊर्जा का अदम्य प्रभाव पैदा करके और योग और ध्यान के निरंतर अभ्यास से रोका ,टाला या कम कर सकते है। 
अभी हाल ही में सीडीएस जनरल बिपिन रावत और अन्य उत्कृष्ट सैन्य अफसरों के साथ दुखद हेलीकॉप्टर दुर्घटना हुई जो रक्षा बलों और राष्ट्र के लिए एक असहनीय झटका है और अपूरणीय क्षति है।  फिर भी यह घटना हमें याद दिलाती हैं और एक महत्वपूर्ण सबक देती हैं “हेयम् दुःखम् अनागतम्', जो  हमें  हमारे अनिश्चित जीवन और उसके अप्रत्याशित दुखों के परिणामों के बारे में सचेत  करती  है । अथक योगाभ्यास से जो शक्ति प्राप्त की जा सकती है, वह भविष्य में अप्रत्याशित घटनाओं को रोकने के लिए एक व्यक्ति और सामूहिक रूप से समाज को समृद्ध कर सकती है।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी श्रीमती मधुलिका रावत सहित 12 अन्य लोग अपने स्वर्गीय सफ़र के लिए रवाना हो गए हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना 8 दिसंबर को हुई जब उनका हेलीकॉप्टर कोयंबटूर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। सीडीएस जनरल रावत, 27 वें सेना प्रमुख, एक आसन्न रक्षा कर्मी जिनका एक अभूतपूर्व कैरियर था। 1958 में जन्मे जनरल ने अपने करियर की शुरुआत गोरखा राइफल्स से की थी और जल्द ही उन्हें कई शानदार सफलताएं मिलीं। वह पुलवामा और म्यांमार सर्जिकल स्ट्राइक के सूत्रधार हैं। धारा 370 के समाप्त होने के बाद संभावित अशांति से निपटने के लिए जनरल ने शांति प्रबंधन की योजना तैयार की थी । उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया । एक लोकप्रिय एवं सजग वरिष्ठ सेना अधिकारी जनरल रावत  आवश्यक संवेदनशील  होने के साथ अपने शौर्य, व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। कारगिल युद्ध, म्यांमार और पुलवामा उनके ऐसे ही कुछ वीरतापूर्ण योगदान है , फिर भी राष्ट्र के लिए उनकी सेवाओं को कम करके आँका नहीं जा सकता । राष्ट्र को बचाने और सुरक्षा के लिए उनके समर्पण और वीर कार्यों के लिए राष्ट्र सदा उनका ऋणी रहेगा ।
जनरल का व्यक्तित्व हमेशा से प्रेरक  रहा है और रक्षा में उनके योगदान को देखते हुए वे हमेशा  महत्वपूर्ण रहेंगे । राष्ट्र के प्रति उनके साहसिक कार्यों  के प्रति हमारी हार्दिक कृतज्ञता है । सीडीएस जनरल रावत हालांकि अपने अंतिम यात्रा पर निकल  चुके हैं, फिर भी उनके चयन की अद्भुत क्षमता और असाधारण कौशल से उन्होंने  खुद को अमर कर लिया है।
देश के सबसे महान सैनिक को ह्रदय से सम्मान देते हुए जिन्होंने 8 दिसंबर को अंतिम सांस ली थी, हम उनकी देशभक्ति सेवाओं के लिए उन्हें  प्रणाम करते हैं औरअन्य  सभी सैनिकों के प्रति भी अपनी सहानुभूति और संवेदना व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपने बहुमूल्य जीवन का बलिदान दिया है ।
 महामीडिया के संरक्षक संपादक ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कहा की "हम अगले सीडीएस को आमंत्रित करना चाहते हैं कि कृपया परम पूजनीय महर्षि महेश योगी जी के "रक्षा के पूर्ण सिद्धांत" के अनुसार “हेयम् दुःखम् अनागतम्' के सिद्धांतो के आधार पर "भारत के सशस्त्र बलों में एक निवारक विंग" स्थापित करने पर विचार करें । जिससे भविष्य में होने वाली घटनाओं को टाला जा सके और भारतीय रक्षा बलों को अजेय बनाया जा सके।"
उन्होंने आगे कहा कि वैदिक ज्ञान और इसकी व्यावहारिक प्रौद्योगिकियां भारत को अजेय बनाने के लिए सशक्त और सक्षम हैं। "महर्षि संगठन प्रतिबद्ध है और कम समय में भारतीय रक्षा बलों को अजेय बनाने की योजना प्रदान करने में हमें प्रसन्नता होगी ।"

महामीडिया संपादकीय बोर्ड  
 

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