
वर्षा ऋतु में आहार के चयन के साथ-साथ ऋतु चर्या का भी पालन करें
भोपाल [महामीडिया] महर्षि महेश योगी संस्थान में वेद विद्या मार्तंड ब्रह्मचारी गिरीश जी के सतत एवं निरंतर मार्गदर्शन में ज्ञानामृत सत्संग का आयोजन अरेरा कॉलोनी भोपाल स्थित महर्षि सांस्कृतिक केंद्र में किया गया। आज के सत्संग का विषय "वर्षा ऋतु को कैसे स्वास्थ्यप्रद बनाएं" था। इस विषय पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता महा के वरिष्ठ वैद्य मधुसूदन देशपांडे ने कहा कि "वर्षा ऋतु में वेदों के अनुरूप हमें अपनी जीवन शैली को आगे बढ़ना चाहिए । उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को अपनाकर हम न केवल स्वस्थ रह सकते हैं बल्कि संतुलित जीवन भी जी सकते हैं। उनका कहना था कि प्रकृति के नियमों के अनुरूप वर्षा ऋतु में दुर्बलता आ जाती है, इसलिए हमें खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस ऋतु के दौरान वात, पित्त और कफ़ तीनों ही दुर्बल होते हैं। इस मास के दौरान व्रत एवं उपवास निरंतर चलते हैं, इसलिए यह संयम का समय होता है। आयुर्वेद का उद्देश्य स्वास्थ्य की रक्षा करना एवं विकारों का समन करना होता है। वर्षा ऋतु में किस तरह एवं कितना भोजन लेना चाहिए इसका ध्यान हमें अवश्य रखना चाहिए।"
देशपांडे जी का कहना था कि वर्षा ऋतु में पाचन की शक्ति कम हो जाती है, इसलिए रोगियों की संख्या इस ऋतु में बढ़ जाती है। इसके बचाव के लिए हमें लघु आहार लेना चाहिए जो कम समय में पच सके जैसे उड़द की जगह मूंग के बने आहार लेना ज्यादा उचित होगा। वर्षा ऋतु में शहद का सेवन लाभकारी होता है किंतु शहद प्राकृतिक हो इसका अवश्य ध्यान रखना चाहिए। वर्षा ऋतु में पानी को उबालकर ठंडा करके पीना चाहिए । वर्षा काल में पंचकोल चूर्ण का उपयोग शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए एक जरूरी कदम है। देशपांडे जी ने बताया कि इस ऋतु में तुरई, खीरा और भिंडी जैसी सब्जियों का उपयोग हमेशा धोकर करना चाहिए। वर्षा काल में जामुन का खाने में उपयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए क्योंकि यह वातवर्धक होता है। इसलिए इसका सीमित मात्रा में दिन में उपयोग किया जा सकता है। अनार एवं नाशपाती का सेवन वर्षा ऋतु में अवश्य करना चाहिए। देशपांडे जी का कहना था कि वर्षा ऋतु में मिर्च मसाले वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए।
अंत में अपनी बात को सारांशित करते हुए वरिष्ठ वैद्य देशपांडे जी ने कहां कि प्रकृति के नियमों के अनुरूप 8 घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए और भावातीत ध्यान का नियमित अभ्यास अवश्य करना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में एक पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि वात के कारण बारिश में जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है इसलिए सोंठ को उबालकर पानी पीने से इसमें आराम मिलता है और इसके लिए महर्षि संस्थान ने कुछ ओषधियां बनाई हैं जिसका उपयोग भी किया जा सकता है।
ज्ञानामृत सत्संग के पूर्व सभी उपस्थित लोगों ने सामूहिक भावातीत ध्यान का अभ्यास किया। इसके पश्चात महर्षि उपदेशामृत का सजीव प्रसारण किया गया तत्पश्चात ज्ञानामृत सत्संग प्रारंभ हुआ। इस संपूर्ण सत्संग का लाइव प्रसारण रामराज टीवी के वेबसाइट, यूट्यूब एवं फेसबुक चैनलों पर भी किया गया।
इस सत्संग का आयोजन महर्षि वैदिक सांस्कृतिक केंद्र, अरेरा कॉलोनी, भोपाल में किया गया। महर्षि संस्थान में प्रत्येक प्रथम एवं तृतीय गुरुवार को इस सत्संग का आयोजन किया जाता है l