
पौड़ी गढ़वाल एक रमणीय पर्यटन स्थल
भोपाल [महामीडिया] हिमालय के गोद में सजा हुआ पौड़ी शहर 1814 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। अक्सर गढ़वाल के नाम से जाना जाने वाला पौडी उत्तराखंड में गढ़वाल मंडल का मुख्यालय है और पौड़ी में घूमने के लिए बहुत सारी जगहें हैं जिन्हें आप देख सकते हैं। यह खूबसूरत हिल स्टेशन हरे-भरे जंगलों, चमचमाते झरनों, आध्यात्मिक स्थलों और परोपकारी बर्फीले पहाड़ों से घिरा हुआ है। हिमालय के ऊँचे पर्वत इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। न केवल इसकी अछूती सुंदरता बल्कि सूर्यास्त का आश्चर्यजनक दृश्य पर्यटकों को रंगों के उत्कृष्ट मिश्रण से मंत्रमुग्ध कर देता है जो लगातार जीवंत नारंगी रंग के स्पर्श को छुपाता है। गर्मियों में यहा का वातावरण बहुत ही सुहावना रहता है। अलकनंदा, हेंवल और नायर यहा की प्रमुख नदियां हैं। पौड़ी कई रमणीय स्थलों से घिरा हुआ है जो शहरी जीवन की हलचल से दूर बेहतरीन छुट्टियां बिताने के लिए जाने जाते हैं। अपनी प्राकृतिक विशिष्टता के लिए विशेष रूप से सराहना की जाने वाली, पौड़ी खूबसूरत जगहों का खजाना है जो आगंतुकों को इसकी रमणीय स्थलो का आनंद लेने देती है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध, चौखम्बा व्यूपॉइंट आगंतुकों को गंगोत्री ग्लेशियरों का सुन्दर दृश्य दिखाता है जो पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल है। यह दृश्य पौढ़ी से केवल 4 किमी दूर है और ओक और रोडोडेंड्रोन के घने जंगलों से ढका हुआ है। यह सबसे लोकप्रिय पौड़ी पर्यटन स्थलों में से एक है। कंडोलिया मंदिर पौडी से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह घूमने के लिए सबसे अच्छे स्थानों में से एक, कंडोलिया एक आकर्षक परिदृश्यो से घिरा हुआ है। यहा गंगवार सन वैली और ऊंचे हिमालय शिखर भी शामिल हैं। कंडोलिया मंदिर भगवान शिव और भूमि देवताओं की पूजा के लिए समर्पित हैं। यह न केवल पवित्र महत्व के लिए, बल्कि कंडोलिया अपने रांसी स्टेडियम के लिए भी जाना जाता है जो एशिया के सबसे ऊंचे स्टेडियम में से एक है। यहा से हिमालय की चट्टानें, चौखंबा, नीलकंठ, त्रिशूल आदि चोटियों के बहुत ही सुंदर दर्शन होते हैं। बिंसर मंदिर को लेकर यह माना जाता है कि यह मंदिर महाराजा पृथ्वी ने अपने पिता बिन्दु की याद में 9वीं शताब्दी में बनवाया था। इस मंदिर को बिंदेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर जागेश्वर और आदि बद्री मंदिरों के समूह का समकालीन था। यहा आपको चट्टानो से काटकर बनाई गई मूर्तियाँ मिलेगी। यह मंदिर विशाल दूधातोली डांडा क्षेत्र में एक छोटी सी घाटी में स्थित है । मंदिर घने समशीतोष्ण जंगलों के बीच में है, जहा देवदार की अनेक प्रमुख वृक्ष प्रजातियां है। ट्रेकिंग और भक्तों के लिए यह जगह घूमने के लिए अछा गंतव्य है। ताराकुंड पौढ़ी गढ़वाल के थलीसैंण ब्लॉक में समुद्र तल से 2,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ताराकुंड एक बेहद खूबसूरत और आकर्षक जगह है जिसकी वजह से पर्यटक अधिक आकर्षित होते हैं। यह काफी ऊंचाई पर स्थित है और यहां से आसपास का नजारा काफी मनमोहक दिखता है। सर्दियों में यह स्थान बर्फ से ढका रहता है। यहां एक छोटी सी झील और एक बहुत पुराना मंदिर इस जगह को और भी खूबसूरत बनाते हैं। ऊंची पहाड़ियों के बीच बने इस मंदिर के साथ-साथ नौ बांस गहरा एक कुआं भी है जो अपने आप में एक आश्चर्य है कहा जाता है कि पांडव स्वर्गारोहण के समय यहां आए थे और कहा जाता है कि उन्होंने ही इस मंदिर का निर्माण कराया था। प्रकृति की गोद में बसा दूधातोली पौड़ी के खूबसूरत स्थानों में से एक है। 31,00मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थान हिमालय के चारों ओर से घिरा हुआ है। यहा से पाँच नदियाँ निकलती है। मखमली बुग्याल तथा बाज, खर्सू व कैल वृक्षों का सघन वन हैं। गढ़वाल के स्वतंत्रता सेनानी वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली को भी यह स्थान इतना पसंद आया की उनकी अंन्तिम इच्छा थी कि उनकी मृत्यु के बाद उनके नाम से एक स्मारक यहां पर बनाया जाए। उनका स्मारक ओक के बड़े-बड़े वृक्षों के बीच कोदियाबगड़ में स्थित है। जिसमें बड़े बड़े अक्षरों में "Never Say Die" लिखा है। दूधातोली क्षेत्र का लगभग 60 % भाग पौड़ी गढ़वाल में आता है जबकि शेष भाग 40% चमोली गढ़वाल (चांदपुर और आदिबदरी पट्टी) का एक हिस्सा है।
[संजীব दुबे]