
जीएसटी बदलाव से म.प्र. का राजस्व घटेगा
भोपाल [महामीडिया] जीएसटी की दरों में बदलाव के कारण जहां आम उपभोक्ताओं को फायदा होगा वहीं इसका असर राज्यों के राजस्व पर पड़ेगा। इसके प्रभाव से राज्यों को कुछ महीने चुनौती पूर्ण होंगे। जीएसटी दरों में कटौती से बाजार में रौनक आएगी और कई समानों की बिक्री बढ़ेगी। इससे सरकार को अधिक टैक्स मिलने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र सरकार से राज्यों को जीएसटी के रूप में मिलने वाली राशि किसी भी राज्य के बजट की रीढ़ होती है। यदि इसमें कमी आती है तो सीधा असर राज्यों की वित्तीय स्थिति पर पड़ता है।म.प्र. के संदर्भ में बात करें, तो राज्य सरकार की आय का बड़ा हिस्सा केंद्र से मिलने वाली जीएसटी की हिस्सेदारी पर निर्भर करता है। यदि केंद्र सरकार से जीएसटी की राशि में कमी आती है तो इससे प्रदेश का बजट प्रभावित होंगी। जीएसटी से मिलने वाली राशि कम पर सरकार को न केवल विकास कार्यों में कटौती करनी पड़ सकती है बल्कि प्रशासनिक खर्चों पर भी दबाव बढ़ेगा। राशि कम होने की स्थिति में राज्य सरकार को अतिरिक्त कर्ज लेना पड़ सकता है। इसका असर भविष्य के बजट पर भी देखने को मिलेगा। जीएसटी कलेक्शन पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करेगा की जीएसटी की दरें लागू होने के बाद चीजों की खपत कितनी बढ़ती है। नई दरें लागू होने के बाद म.प्र. को केंद्र से मिलने वाली हिस्सेदारी में कमी आएगी या वृद्धि होगी इस बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है। अक्टूबर के बाद इस बारे में कुछ कहा जा सकता है। चूंकि जीएसटी की राशि प्रदेश के लिए बेहद महत्वपूर्ण है इसलिए वित्त विभाग इसका सतत आंकलन करेंगे। म.प्र. में पिछले वर्षों में जीएसटी संग्रह में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में जीएसटी संग्रह 15,544 करोड़ हुआ था। वहीं 2018-19 में 25,683, 2019-20 में 28,354, 2020-21 में 27,005, 2021-22 में 31,255, 2022-23 में 36,232, 2023-24 में 42,174 और 2024-25 में 29,438 करोड़ रूपए जीएसटी संग्रह हुआ है।