
निर्वाचित सरकारें राज्यपाल की मर्ज़ी पर नहीं चल सकतीं
नई दिल्ली [महामीडिया] सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि यदि राज्यपाल विधानसभा को लौटाए बिना विधेयकों को अपनी सहमति आसानी से रोक सकते हैं तो क्या यह बहुमत से चुनी गई सरकारों को राज्यपाल की सनक और कल्पना पर निर्भर नहीं करेगा। चीफ़ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की खंडपीठ भारत के सॉलिसिटर जनरल की दलीलें सुन रही थी। अनुच्छेद 200 के अनुसार राज्यपाल के पास चार विकल्प हैं: सहमति प्रदान करना, सहमति रोकना, विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करना या विधेयक को विधानसभा में वापस करना। इस पर चीफ़ जस्टिस गवई ने पूछा कि अगर इस तरह की शक्ति को मान्यता दी जाती है तो क्या यह राज्यपाल को विधेयक को अनिश्चित काल तक रोकने में सक्षम नहीं बनाएगा ?