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फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से कृषि उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा
भोपाल [महामीडिया] भारत ने न्यूजीलैंड के साथ हुए द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते के तहत डेयरी सेक्टर में किसी भी तरह की आयात शुल्क में छूट नहीं दी है।दोनों देशों के बीच हुए एफटीए के अंतर्गत सेब, कीवी और शहद के लिए उत्कृष्टता केंद्रों के जरिए कृषि उत्पादकता साझेदारी की गई ताकि उत्पादकता और किसानों की आय को बढ़ावा दिया जा सके। उत्पादकता सहयोग को सेब, कीवी और शहद के लिए सीमित बाजार पहुंच के साथ जोड़ा गया। यह कोटा और न्यूनतम आयात कीमतों से जुड़ा है जिससे कि घरेलू उत्पादकों के लिए सुरक्षा उपायों के साथ नॉलेज ट्रांसफर को संयोजित किया जा सके। किसानों और घरेलू उद्योगों को सुरक्षा देने के लिए बाजार पहुंच में डेयरी, कॉफी, दूध, क्रीम, पनीर, दही, व्हे, केसिन, प्याज, चीनी, मसाले, खाने के तेल, रबर शामिल नहीं किए गए हैं।भारत पहले भी अपने व्यापार समझौतों में थोक डेयरी आयात को लेकर सख्त रुख अपनाता रहा है। डेयरी सेक्टर हमेशा से भारत के लिए सबसे संवेदनशील और राजनीतिक रूप से अहम मुद्दा रहा है। भारत में लाखों छोटे डेयरी किसान हैं जिनकी आजीविका इसी क्षेत्र पर निर्भर करती है। ऐसे में सरकार इस सेक्टर को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने को प्राथमिकता देती रही है।न्यूजीलैंड दुनिया के सबसे बड़े डेयरी निर्यातकों में शामिल है जबकि भारत दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देशों में से एक है। इसके बावजूद दोनों देशों के बीच डेयरी व्यापार फिलहाल बहुत सीमित है। वित्त वर्ष 2024-25 में न्यूज़ीलैंड से भारत में डेयरी उत्पादों का कुल आयात करीब 1.07 मिलियन डॉलर रहा।