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लैंगिक समानता के लिए पुरुषों को सामने आना चाहिए
भोपाल [महामीडिया] भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि लैंगिक समानता की दिशा में यात्रा तभी सफल होगी जब महिलाएं और पुरुष सहयोग करेंगे और बाधाओं को दूर करने में समान रूप से योगदान देंगे। मुख्य न्यायाधीश गवई ने इस बात पर ज़ोर दिया कि लैंगिक न्याय प्राप्त करना केवल महिलाओं की ज़िम्मेदारी नहीं है और इसके लिए पुरुषों को यह स्वीकार करना होगा कि उनके पास मौजूद असमान शक्ति को साझा करना नुकसान की बात नहीं है बल्कि समाज की मुक्ति की दिशा में एक कदम है। मुख्य न्यायाधीश ने यह टिप्पणियाँ न्यायमूर्ति सुनंदा भंडारे स्मृति व्याख्यान में देते हुए कहीं ।