
रूसी कच्चे तेल से भारत की दो प्राइवेट रिफाइनरीज मालामाल
भोपाल [महामीडिया] रूसी सस्ते कच्चे तेल के आयात का फायदा तो खूब हुआ मगर वह बराबर बंटा नहीं है। देश में निजी क्षेत्र की कंपनियों को इसका ज्यादा मुनाफा मिला है। जहाजों की आवाजाही के आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार द्वारा तय कीमत पर ईंधन बेचने की मजबूरी के कारण सरकारी रिफाइनरियों को बहुत कम लाभ हुआ है। देश की सात रिफाइनिंग कंपनियों ने रूस से रोजाना करीब 18 लाख बैरल सस्ता तेल खरीदा और इसमें से 8.81 लाख बैरल दो कंपनियों के हिस्से में आया। दोनों निजी क्षेत्र की कंपनियां हैं – रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी। नायरा एनर्जी को रूस की रोसनेफ्ट चलाती है। 2025 में अभी तक हुए रूसी तेल के कुल आयात में करीब आधी हिस्सेदारी इन दोनों कंपनियों की ही है।फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से चार साल में भारत ने वहां से औसतन 15 लाख बैरल कच्चा तेल रोजाना आयात किया। इसमें से 40 फीसदी से ज्यादा तेल रिलायंस और नायरा ने ही मंगाया।भारत में आयात होने वाले कच्चे तेल में रूस की हिस्सेदारी 2021 में केवल 2 फीसदी थी जो पिछले 42 महीनों में बढ़कर 32 फीसदी हो गई। इसका नुकसान सऊदी अरब, अमेरिका, नाइजीरिया और दूसरे देशों को उठाना पड़ा है जहां से भारत ने आयात कम कर दिया। इस जून में तो भारत में आए कुल कच्चे तेल में से 45 फीसदी रूस से ही आया यानी विदेश से आने वाला कच्चे तेल का हर दूसरा बैरल रूस से रहा।इसका सबसे ज्यादा फायदा रिलायंस को मिला मगर उसे हुए मुनाफे की सही जानकारी नहीं है। इन सौदों से भारतीय कंपनियों को करीब 16 अरब डॉलर का मुनाफा होने की बात का अनुमान लगाया गया है ।