छत्तीसगढ़ में पाँच हजार डॉक्टरों और फार्मासिस्टों के फर्जी पंजीयन 

छत्तीसगढ़ में पाँच हजार डॉक्टरों और फार्मासिस्टों के फर्जी पंजीयन 

भोपाल [ महामीडिया] फर्जी डाक्टर व फार्मासिस्टों के लिए छत्तीसगढ़ साफ्ट टारगेट बन गया है, जहां फर्जी दस्तावेजों के माध्यम धड़ल्ले से पंजीयन करा ले रहे हैं। कमजोर सिस्टम की वजह फर्जी पंजीयन कराने वाले दूसरे प्रदेश के लोग की पहली पसंद है, जिसमें सर्वाधिक ओडिशा, झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरला, आंध्रप्रदेश व अन्य राज्यों के लोग सामने आ रहे हैं। पंजीयन के बाद बगैर रोकटोक ऐसे लोग प्रदेश में ना सिर्फ धड़ल्ले से निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं, बल्कि अस्पताल तक खोल चुके हैं। पहले तो इनके दस्तावेजों की सही जांच नहीं की जा रही है।मामला सामने आने के बाद जिला स्तर पर ही सांठगांठ कर मामला दबा दिया जाता है। छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में पंजीयन को लेकर उदासीन रवैया रहा। एलोपैथी चिकित्सकों का पंजीयन होता है। लेकिन दुर्ग, दंतेवाड़ा व अन्य क्षेत्रों में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर पंजीयन के मामले सामने आए। बड़े पैमाने पर फर्जी पंजीयन की आशंका को लेकर सीबीआइ ने काउंसिल में कई दस्तावेज जब्त किए। जांच के बीच शिफ्टिंग के दौरान पंजीयन से जुड़े कई दस्तावेज गायाब हैं। जांच हुई तो बड़े पैमाने पर फर्जी डाक्टर सामने आएंगेछत्तीसगढ़ आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सा पद्धति बोर्ड एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड में रजिस्ट्रार ने जांच में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर आयुर्वेदिक व होम्योपैथी चिकित्सकों की पोल खोली थी। इसमें 20 से अधिक मामलों में पंजीयन रद कर कार्रवाई की गई, जिसमें से अधिकांश लोग दूसरे राज्यों से थे। वहीं पुलिस में मामले को दिया गया। फर्जी पंजीयन को लेकर लगातार जांच चल रही है। छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पांच हजार से अधिक लोगों का फर्जी पंजीयन है। वहीं धड़ल्ले से आज भी फर्जी पंजीयन कराए जा रहे हैं। मामला सामने आने के बाद अब तक 50 से अधिक पंजीयन रद किए गए हैं। वहीं कुछ गिरफ्तारी हुई है। काउंसिल के अधिकारियों द्वारा फर्जीवाड़े को लेकर पुलिस में लिखित शिकायत की थी। बड़े पैमाने पर हुए फर्जी पंजीयन के मामले की जांच अब तक नहीं हो पाई। 

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