पौष्टिकतत्वों से भरपूर सहजन
कटनी [ महामीडिया] सहजन या ड्रम स्टिक सबसे ताकतवर और पोषण पूरक आहार है। सहजन में विटामिन A, विटामिन B1, विटामिन B2, विटामिनB3, विटामिन B6 और विटामिन C मौजूद होते हैं. सहजन में पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, जिंक और कैल्शियम जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं जो कई बीमारियों को दूर रखने का काम करते हैं इसे आम भाषा में मुनगा भी कहते हैं। इसकी फल्ली ही नहीं बल्कि जड़ से लेकर फूल, पत्ती, तना, गोंद, हर चीज बहुत उपयोगी होती है। आयुर्वेद में सहजन के बहुत से उपयोग बताए गए हैं। इसके सेवन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है। सहजन में संतरे से सात गुना अधिक विटामिन सी पाया जाता है। इसमें गाजर से चार गुना अधिक विटामिन ए और दूध से चार गुना अधिक कैल्शियम पाया जाता है। सहजन में पोटेशियम और प्रोटीन भी अधिक मात्रा में पाया जाता है।सहजन में केले से तीन गुना अधिक पोटेशियम और दही की तुलना में तीन गुना अधिक प्रोटीन पाया जाता है। स्वास्थ्य के हिसाब से सहजन की फली और पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, और बी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।सहजन के सेवन से कई बीमारियों को ठीक किया जाता है। इस का बोटैनिकल नाम मोरिगा ओलिफेरा है। अन्य भाषा में इसे सहजन, सुजना, सेंजन और मुनगा के नाम से भी जानते हैं। लगभग सभी लोग इसके बारे में जानते हैं और इसका सेवन भी करते हैं। सहजन एक प्रकार की फली है, जिसका उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है।सहजन की फली के साथ साथ इसकी पत्तियां और तने का उपयोग भी दवाइयों को बनाने में किया जाता है। इस पेड़ में छोटे पत्ते, सफेद फूल और बीज की फली होती है जो ड्रमस्टिक्स जैसी लंबी, पतली और त्रिकोणीय होती है। इसलिए इस पेड़ को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक भी कहा जाता है। हिंदी में इसे सहजन या मुनगा के नाम से जाना जाता है।खाना पकाने के लिए, आमतौर पर पत्ते, फूल और फली का उपयोग किया जाता है। उनके पास चमत्कारी स्वास्थ्य लाभ हैं। पारंपरिक दवाओं में छाल और जड़ का उपयोग किया जाता है। सहजन के पेड़ की खासियत है कि यह कम पानी वाली जगह पर भी उगाया जा सकता है। इसके अलावा यह तेजी से बड़ा भी होने लगता है।