भारतीय  परंपराओं का अध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व 

भारतीय  परंपराओं का अध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व 

नईदिल्ली [ महामीडिया] हिंदू धर्म में हाथ जोड़कर नमस्कार करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह न केवल किसी के प्रति सम्मान व्यक्त करने का प्रतीक है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक महत्व भी बताया गया है। जब एक व्यक्ति दोनों हाथों को आपस में जोड़ता है तो उसकी हथेलियों में कुछ ऐसे बिंदु होते हैं, जिनपर दबाव पड़ता है। इन बिंदुओं से आंख, नाक, कान, हृदय आदि शरीर के विभिन्न अंगों का सीधा संबंध है। ऐसे में हाथ जोड़कर नमस्कार करने से इन बिंदुओं पर दबाव पड़ता है और इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति कई प्रकार की बिमारियों से बचा रहता है। वैज्ञानिक तौर पर इसे एक्यूप्रेशर कहा जाता है, जिसका चलन हाल के दिनों में बहुत बढ़ा है। पूजा-पाठ के समय व्यक्ति हमेशा अपने ललाट पर तिलक अवश्य लगाता है। यह परंपरा भी लंबे समय से हिंदू धर्म में निभाई जाती है। इसके पीछे न केवल आध्यात्मिक कारण है, बल्कि वैज्ञानिक विशेषता भी छिपी हुई है। बता दें कि तिलक लगाते समय माथे के बीच में उस बिंदु पर दबाव पड़ता है जो तांत्रिका तंत्र से सीधा संबंध रखता है। इस बिंदु पर दबाव पड़ने से यह सक्रिय हो जाता है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होने लगता है। तिलक लगाने से न केवल ऊर्जा प्राप्त होती है, बल्कि एकाग्रता में भी बढ़ोतरी होती है। साथ ही मांस-पेशियों में रक्त का सही संचार होता है।
 

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