सुप्रीम कोर्ट ने क़ानूनी जागरूकता को महत्वपूर्ण बताया
नई दिल्ली [ महामीडिया] एक महत्वपूर्ण निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने जागरूकता के पहलू पर कई दिशा-निर्देश पारित किए हैं। यह माना गया है कि कानूनी सहायता तंत्र के कामकाज की सफलता में, "जागरूकता महत्वपूर्ण है।" एक मजबूत तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है और इसे समय-समय पर अपडेट किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानूनी सेवा प्राधिकरणों द्वारा प्रचारित विभिन्न लाभकारी योजनाएं "देश के कोने-कोने" तक पहुंचे। जस्टिस गवई और जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि "किसी भी कानूनी सेवा में सबसे महत्वपूर्ण कार्य जरूरतमंदों तक इसकी जागरूकता फैलाना है। स्टेटस रिपोर्ट से पता चलता है कि दोषियों को मुफ्त कानूनी सेवाओं की उपलब्धता, अपील करने के अधिकार की उपलब्धता और इसे करने की प्रक्रिया के बारे में जागरूक किया गया था। यह अनुच्छेद 21 की गारंटी देता है और उसे प्रभावी बनाता है। जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय ने निर्देश दिया है कि राज्य की स्थानीय भाषाओं सहित पर्याप्त साहित्य और उचित प्रचार-प्रसार के तरीके शुरू किए जाने चाहिए ताकि न्याय के उपभोक्ता जिनके लिए योजनाएं तैयार की गई हैं, वे इसका सर्वोत्तम उपयोग कर सकें। इस संबंध में न्यायालय ने निर्देश दिया है की " पुलिस स्टेशनों, डाकघरों, बस स्टैंडों, रेलवे स्टेशनों आदि जैसे सार्वजनिक स्थानों पर प्रमुख स्थानों पर संपर्क के लिए पता और निकटतम कानूनी सहायता कार्यालय के फोन नंबर वाले बोर्ड प्रदर्शित किए जाने चाहिए। यह स्थानीय भाषा और अंग्रेजी में किया जाना चाहिए।"