तिल-गुड़ का भोग लगाकर संकष्टी चतुर्थी का हुआ श्रीगणेश
भोपाल (महामीडिया) आज संकष्टी चतुर्थी है। धार्मिक मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। यह पर्व गणेश भगवान को समर्पित है। इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है। इससे भगवान गणेश प्रसन्न होकर व्रतधारी की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त
सर्वार्थ सिद्धि योग – दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से लेकर 04 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 59 मिनट तक
चन्द्रोदय का समय – शाम 7 बजकर 51 मिनट
संध्या पूजा – शाम 5 बजकर 24 मिनट से शाम 6 बजकर 45 मिनट तक
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन सबसे पहले सुबह उठें और स्नान करें। इसके बाद इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। भगवान गणेश की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। सकंष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश को स्वच्छ आसन पर विराजित करें।
भगवान गणेश की प्रतिमा के आगे धूप-दीप प्रज्जवलित करें। ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपते नमः का जाप करें। पूजा के बाद भगवान को लड्डू या तिल से बने मिष्ठान का भोग लगाएं। शाम को व्रत कथा पढ़कर चांद देखकर अपना व्रत खोलें। अपना व्रत पूरा करने के बाद सामर्थ्य के अनुसार दान करें। संकष्टी चतुर्थी व्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि व पुनर्वसु नक्षत्र में आज रखा गया। चंद्र उदय का समय रात 8:10 बजे का है। संकष्टी चतुर्थी के दिन आज सुबह श्रद्धालुओं ने भगवान गणेश का विशेष पूजन किया। इस बार संकष्टी चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग बना है, जिससे सभी कार्य पूर्ण होंगे। गौरतलब है कि भगवान गणेश अन्य सभी देवी-देवताओं में सर्वप्रथम पूज्य हैं। श्रीगणेश को बुद्धि, बल और विवेक का देवता माना जाता है। भगवान गणेश के लिए किया जाने वाला संकष्टी चतुर्थी व्रत बहुत प्रचलित है। श्रद्धालुओं ने आज भगवान गणेश को तिल, गुड़, लड्डू, दूर्वा, चंदन और मीठा अर्पित किया और उनके सामने धूप-दीप जलाकर गणेश वंदना कर सुख समृद्धि की कामना की। रात्रि में चांद निकलने से पहले गणपति पूजा करके संकष्टी व्रत कथा की जाएगी। इसके बाद रात में चंद्र दर्शन करने के बाद व्रत को खोला जाएगा। मान्यता है कि सूर्योदय से शुरू होने वाला संकष्टी चतुर्थी व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है।संकष्टी चतुर्थी पर गणेश पूजन करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। लोग अपने कष्टों से मुक्ति पाने के लिए भगवान गणेश की अराधना करते हैं। श्रद्धालुओं ने मनचाहा वरदान पाने के लिए भगवान गणेश की पूजा करने के साथ ही व्रत भी रखा। संकष्टी चतुर्थी का अर्थ संकट को हरने वाली चतुर्थी से है। इस दिन चंद्रमा बुध ग्रह की मिथुन राशि में है तथा सूर्य मंगल की राशि वृश्चिक में है।