
उपभोक्ता युग में निजता का अधिकार
भोपाल [महामीडिया] अक्सर दुकानदार बिल बनाते समय ग्राहकों से मोबाइल नंबर मांग लेते हैं। कई लोग इसे जरूरी समझकर अपना नंबर बता भी देते हैं। लेकिन सच यह है कि बिल बनाने के लिए मोबाइल नंबर देना अनिवार्य नहीं है। सरकार और कानून साफ कहते हैं कि यह गलत तरीका है। हालांकि यह काफी चलन में है और अक्सर ग्राहकों पर थोपा भी जाता है, लेकिन यह सही प्रैक्टिस नहीं है। हर उपभोक्ता को बिना मोबाइल नंबर दिए भी बिल लेने का पूरा हक है और अपनी प्राइवेसी की रक्षा करना उसका अधिकार है। अक्सर आपने देखा होगा कि किसी दुकान से सामान खरीदते समय कैशियर या सेल्समैन आपसे मोबाइल नंबर मांगता है। वह कहता है कि ऑफर भेजने हैं, बिल पर प्रिंट करना है या लॉयल्टी पॉइंट्स के लिए जरूरी है।असल में दुकानदार या बड़ी कंपनियां ग्राहक का मोबाइल नंबर लेकर अपना डेटाबेस तैयार करती हैं। बाद में इन्हीं नंबरों पर मार्केटिंग मैसेज भेजे जाते हैं, डिस्काउंट या ऑफर प्रमोट किए जाते हैं, कॉल करके प्रोडक्ट बेचने की कोशिश की जाती है।कई बार यह डेटा थर्ड पार्टी कंपनियों को भी बेच दिया जाता है। यही वजह है कि आपको अनजाने नंबरों से कॉल या वॉट्सएप मैसेज आने लगते हैं। यही आपके प्राइवेसी अधिकार का उल्लंघन है क्योंकि आपने अपनी निजी जानकारी केवल खरीदारी के लिए दी थी न कि विज्ञापन और मार्केटिंग के लिए।