
आध्यात्मिक बल और मानसिक शांति के लिए रूप चौदस की पूजा
नैनीताल [महामीडिया] नरक चतुर्दशी जिसे छोटी दिवाली या रूप चौदस भी कहा जाता है यह दीपावली के एक दिन पहले मनाया जाता है। यह पर्व न केवल अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है बल्कि जीवन और मृत्यु से जुड़ी गहरी आध्यात्मिक समझ को भी उजागर करता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की विशेष रूप से पूजा की जाती है, जिससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और जीवन में सुख-शांति और संतुलन बना रहता है। हिंदू धर्म में यमराज को मृत्यु और धर्म के देवता माना जाता है जो जीवों के कर्मों के अनुसार न्याय करते हैं। नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की आराधना करने से जीवन में मृत्यु का भय कम होता है और अकाल मृत्यु की आशंका से रक्षा मिलती है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक यमदेव की पूजा करने से न केवल नकारात्मक शक्तियों से बचाव होता है बल्कि जीवन में आध्यात्मिक बल, मानसिक शांति और समृद्धि भी आती है।यह पर्व जीवन के गहरे रहस्यों, विशेषकर जन्म और मृत्यु के चक्र की ओर ध्यान खींचता है। यमराज की पूजा केवल मृत्यु से मुक्ति के लिए नहीं, बल्कि जीवन को अधिक सुरक्षित, संतुलित और शांतिपूर्ण बनाने के लिए की जाती है।इस दिन खासतौर पर एक विशेष दीपक बनाया जाता है जिसे यम दीपक कहते हैं। चतुर्दशी तिथि का आरंभ 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 01:51 बजे होगा और इसका समापन 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:44 बजे होगा। इसलिए पूजा 19 अक्टूबर की रात को की जाएगी जबकि अभ्यंग स्नान 20 अक्टूबर की भोर में किया जाएगा। पूजा और स्नान का समय सूर्योदय से पहले प्रातः काल 05:13 से 06:25 बजे तक है।