भारत की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र और नासिक शहर 

भारत की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र और नासिक शहर 

भोपाल [ महामीडिया] महाराष्ट्र का नासिक शहर। यहां से 27 किमी दूर एक कस्बा है त्र्यंबक। त्र्यंबक प्रसिद्ध है ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्वर के लिए, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इसी कस्बे में दादा साहेब फाल्के जन्मे थे। जिन्होंने भारत की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनाई। ये फिल्म 3 मई 1913 को रिलीज हुई थी। भारत में फिल्मों का सबसे बड़ा सम्मान भी इन्हीं के नाम पर है।राजा हरिश्चंद्र की रिलीज के 110 साल पूरे होने पर हम पहुंचे उसी कस्बे त्र्यंबक में, जहां से दादा साहेब ने अपना सफर शुरू किया था। हैरानी की बात है कि जिस इंसान ने हिंदुस्तान को फिल्में बनाना और देखना सिखाया, उसी को उसके शहर में अब कोई नहीं जानता। हां, उनके नाम पर एक मेमोरियल जरूर बना है, लेकिन उसकी हालत भी कुछ खास ठीक नहीं है। दादा साहेब की निशानी के तौर पर कुछ तस्वीरें हैं, जो गूगल पर आसानी से मिल जाती हैं।हमने मुंबई में रह रहे चंद्रशेखर पुसालकर से भी बात की, जो दादा साहेब फाल्के के नाती हैं। चंद्रशेखर ने हमारे साथ बातचीत में चौंकाने वाले खुलासे किए। उन्होंने बताया कि आखिरी दिनों में दादा साहेब फाल्के की हालत ठीक नहीं थी। उन्हें खाने के भी लाले थे। सरकार ने उनका फिल्म बनाने का लाइसेंस रद्द कर दिया था, जो उनके लिए बड़ा सदमा था और इसके दो दिन बाद ही वो चल बसे।हमने त्र्यंबक शहर, दादा साहेब के पुराने घर और नासिक के उस मेमोरियल में जाकर देखा कि भारतीय सिनेमा को जन्म देने वाले के शहर में उनको जानने और समझने वाले लोग कितने हैं।रिंग रोड पर 20 लोगों से पूछा, किसी को नहीं पता कौन है दादा साहेब फाल्केत्र्यंबक शहर के बीचो-बीच श्रीमंत पेश्वे रोड के पास कुछ स्थानीय लोगों से जब दादा साहेब फाल्के के बारे में पूछा गया तो जवाब मिला, इस नाम का इस शहर में कोई नहीं है, पहले कभी रहे हों तो पता नहीं। 
 

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