शिव जी को तांबे के लोटे से जल और चांदी के लोटे से दूध चढ़ाना चाहिए

शिव जी को तांबे के लोटे से जल और चांदी के लोटे से दूध चढ़ाना चाहिए

भोपाल [ महामीडिया] शिव जी को तांबे के लोटे से जल और चांदी के लोटे से दूध चढ़ाना चाहिएशिवलिंग का जलाभिषेक करने का महत्व काफी अधिक है। शिव जी को खासतौर पर ठंडक देने वाली चीजें जैसे जल, दूध, दही, घी चढ़ाने की परंपरा है। अभिषेक करने का अर्थ है शिवलिंग पर जल चढ़ाना। शिव जी का एक नाम रुद्र भी है, इसलिए जलाभिषेक को रुद्राभिषेक भी कहते हैं। जानिए शिवलिंग पर जल-दूध क्यों चढ़ाते हैं?पुराने समय में देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन में कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, एरावत हाथी, उच्चश्रेवा घोड़ा, महालक्ष्मी, धनवंतरि, अमृत कलश जैसे 14 रत्न निकले थे, लेकिन सभी रत्नों से पहले हलाहल नाम का विष निकला था।हलाहल विष की वजह से संसार के सभी जीव के प्राण खतरे में पड़ गए थे। सभी प्राणियों को बचाने के लिए शिव जी ने ये विष पी लिया था। शिव जी विष को गले से नीचे नहीं जाने दिया था, गले में विष होने से शिव जी का गला नीला गया हो गया। नीले गले की वजह से भगवान का एक नाम नीलकंठ हो गया।विष की वजह से शिव जी के शरीर में जलन होने लगी थी, इस जलन को शांत करने के लिए शिव जी को शीतल जल अर्पित किया गया। शिव जी को ठंडक मिल सके, इसके लिए शिवलिंग पर ठंडी तासीर वाली चीजें जैसे जल, दूध, दही, घी चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। शीतलता के लिए ही शिव जी ने चंद्र को अपने मस्तष्क पर धारण किया है।शिवलिंग पर जल सोने, चांदी, पीतल या तांबे के लोटे से चढ़ाना चाहिए। दूध के लिए चांदी के बर्तन का उपयोग करेंगे तो बेहतर रहेगा। चांदी का लोटा न हो तो मिट्टी के कलश से जल-दूध चढ़ा सकते हैं। स्टील, एल्युमिनियम या लोहे के लोटे का उपयोग करने से बचना चाहिए। पूजा-पाठ के लिए ये धातुएं शुभ नहीं मानी जाती है।लोटे में जल-दूध भरें और पतली धारा शिवलिंग पर चढ़ाएं। जल-दूध चढ़ाते समय ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहना चाहिए।
 

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