पद्मा एकादशी व्रत महिमा

पद्मा एकादशी व्रत महिमा

भोपाल (महामीडिया) भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मा एकादशी के नाम से जाना जाता है। मध्यप्रदेश में इसे डोल ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री विष्णु शयन शैय्या पर सोते हुए करवट लेते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्री विष्णु के वामन स्वरूप की पूजा की जाती है। 
परिवर्तिनी एकादशी की शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ:  28 अगस्त सुबह 8 बजकर 40 मिनट से। 
एकादशी समाप्त: 29 अगस्त सुबह 8 बजकर 18 मिनट तक।
परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि
परिवर्तिनी एकादशी के दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए विधि-विधान से पूजा करें। सबसे पहले घर में या मंदिर में भगवान विष्णु व लक्ष्मीजी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल पीकर आत्मा शुद्धि करें। फिर रक्षासूत्र बांधे। इसके बाद शुद्ध घी से दीपक जलाकर शंख और घंटी बजाकर पूजन करें। व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद विधिपूर्वक प्रभु का पूजन करें और दिन भर उपवास करें।
सारी रात जागकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। अगले दूसरे दिन यानी की 10 सितंबर, मंगलवार के दिन भगवान विष्णु का पूजन पहले की तरह करें। इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।

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