होली के पर्व का आगमन 

होली के पर्व का आगमन 

भोपाल [ महामीडिया]  होली का आगमन इस बात का सूचक है कि अब चारों तरफ वसंत ऋतु का सुवास फैलने वाला है। मीमांसा-सूत्र  के अनुसार होली का प्रारंभिक शब्द रूप 'होलाका' था। इसे सभी आर्यों द्वारा संपादित किया जाना चाहिए। ज्ञात रूप से यह त्योहार 600 ईसा पूर्व से मनाया जाता रहा है। होली का त्योहार फुलेरा दूज के साथ शुरू हो जाता है। इस दिन राधा-कृष्ण के मंदिरों में पुष्पों की होली खेली जाती है। ब्रज मंडल में फुलेरा दूज के साथ होली का पर्व शुरू होता है। इसके बाद होलाष्टक, लड्डू की होली, लट्ठमार होली से लेकर रंग पंचमी मनाई जाती है। 
27 फरवरी से होलाष्टक शुरू हो जाएगा, 7 मार्च को होलिका दहन के साथ खत्म होगा। इस वर्ष 9 दिनों तक होलाष्टक रहेगा। इन नौ दिनों तक मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे।
लड्डू को खुशी के रूप में बांटे जाने की परंपरा है। बरसाना में लट्ठमार होली से एक दिन पहले अबीर-गुलाल की तरह लड्डू फेंके जाते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से लोगों के बीच प्यार बना रहता है। नंदगांव से होली खेलने के लिए बरसाना आने का आमंत्रण स्वीकार करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
28 फरवरी, मंगलवार- बरसाना की लट्ठमार होली
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को बरसाना में लट्ठमार होली खेली जाती है। इस दिन महिलाएं पुरुषों के ऊपर प्यार से लाठी बरसाती हैं और पुरुष ढाल से खुद की रक्षा करते हैं।
1 मार्च, बुधवार- नंदगांव की लट्ठमार होली
नंदगांव में धूमधाम से होली मनाई जाती है। कान्हा की नगरी में होली खेलने की परंपरा बरसों पुरानी है।
3 मार्च, शुक्रवार- रंगभरी एकादशी, मथुरा में होली
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी कहा जाता है। इसे आमलकी एकादशी भी कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती पहली बार काशी गए थे। इसी कारण यहां पर रंग खेला जाता है। वहीं 3 मार्च को मथुरा में भी होली खेली जाएगी।
4 मार्च, शनिवार- गोकुल में छड़ीमार होली
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को छड़ीमार होली खेली जाती है। इस दिन महिलाओं के हाथ में छड़ी होती है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के बचपन से जुड़ा है।
7 मार्च, मंगलवार- होलिका दहन
फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है।
8 मार्च, बुधवार- रंग खेलने वाली होली
देशभर में 8 मार्च को होली खेली जाएगी।
12 मार्च, रविवार- रंग पंचमी
चैत्र मास की पंचमी तिथि को रंग पंचमी कहा जाता है। इस दिन को देव पंचमी कहा जाता है।

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