अंगूरों से किया गया भगवती त्रिपुर सुंदरी का मनोहारी श्रृंगार

अंगूरों से किया गया भगवती त्रिपुर सुंदरी का मनोहारी श्रृंगार

नईदिल्ली [ महामीडिया]जिले में नवरात्र के मौके पर कोविड संक्रमण के कारण मंदिरों और नर्मदा तटों पर लोगों की भीड़ भले न हो लेकिन सभी प्रमुख मंदिरों में मुख्य पुजारियों सहित संतों द्वारा भगवती की आराधना पूरे भक्ति भाव के साथ की जा रही है। द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती की तप स्थली परमहंसी गंगा आश्रम में भगवती त्रिपुर सुंदरी माता की प्रतिमा का नवरात्र के पहले दिन अंगूरों से मनोहारी श्रृंगार किया गया है। यहां दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती सहित अन्य संतो ने मंगलवार को देवी की विशेष आराधना की।परमहंसी के इस मंदिर में शारदेय और वासंतेय नवरात्र के मौके पर हर वर्ष भगवती की विशेष आराधना-पूजा के साथ विविध सामग्री से माता की प्रतिमा का श्रृंगार किया जाता है। यहां अखंड ज्योति कलश की स्थापना भी की जाती है। जिनका दर्शन करने के लिए देश-प्रदेश के विभिन्न् स्थानों से श्रद्धालुओं का आना होता है। लेकिन इस बार मंदिर में पूजन का कार्य कोविड संक्रमण को देखते हुए विशेष सावधानी से किया जा रहा है। बाहर से श्रद्धालुओं का आना भी नहीं हो रहा है।दक्षिण भारतीय शैली में बना है मंदिर: जिले के गोटेगांव तहसील मुख्यालय से 16 किमी दूर झौंतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में भगवती त्रिपुर सुंदरी माता का मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है। यह मंदिर करीब 225 फीट ऊंचा है और मंदिर में चांदी के पात्रों से सुसज्जित गर्भगृह में भगवती त्रिपुर सुंदरी विराजित हैं। साथ ही परिक्रमा में चौसठ योगिनी की प्रतिमाओं समेत यहां नित्या भगवती की प्रतिमा विराजित हैं। यह मंदिर कई विशेषताओं को समेटे हुए हैं। द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती ने इस मंदिर का निर्माण कराया है। जिसका कार्य वर्ष 1965 में शुरू हुआ करीब 15 वर्ष में पूर्ण होने के बाद 26 दिसंबर 1982 को माता त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमा विराजित हुई।

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