दिन बड़े होने के कारण ज्येष्ठ महीना कहलाया
भोपाल [ महामीडिया ] 24 मई से ज्येष्ठ महीना शुरू हो गया है। जो कि 22 जून को पूर्णिमा के साथ खत्म होगा। इस महीने के आखिरी दिन तीर्थ स्नान के साथ तिल और जल दान के साथ ही एक समय भोजन करना चाहिए। इस महीने में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों के अनुसार जल और पेड़ पौधों की पूजा भी करनी चाहिए। ऋषि-मुनियों ने पर्यावरण की रक्षा को देखते हुए इस महीने के व्रत त्योहारों की व्यवस्था की गई थी।ये साल का तीसरा महीना होता है। इसका स्वामी मंगल होता है। इसके आखिरी दिन पूर्णिमा तिथि के साथ ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग बनता है, इसलिए इस महीने को ज्येष्ठ कहते हैं। इस महीने में दिन बड़े होते हैं और इसे अन्य महीनों से बड़ा माना गया है। जिसे संस्कृत में ज्येष्ठ कहा जाता है। इसलिए इसका नाम ज्येष्ठ हुआ।इस दौरान सूरज अपने तेज पर रहता है और भीषण गर्मी पड़ती है. इस बार ज्येष्ठ का महीना 24 मई से 21 जून तक रहेगा. सूरज के ज्येष्ठता के कारण ही इसे ज्येष्ठ का महीना कहा जाता है. ज्येष्ठ महीने में जितने भी मंगल आते हैं उन्हें बड़ा मंगल कहा जाता है