स्वास्थ्य में लाभदायक है चार मुखी रूद्राक्ष

स्वास्थ्य में लाभदायक है चार मुखी रूद्राक्ष

भोपाल (महामीडिया) पूरी दुनिया कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रही है। करोड़ों लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं और लाखों मौतें हो चुकी हैं। अनेक देशों के मेडिकल साइंटिस्ट इस रोग से बचाव के लिए वैक्सीन बनाने के प्रयास भी कर रहे हैं, लेकिन किसी को भी अभी तक पूरी तरह सफलता नहीं मिल पाई है। इस बीमारी से बचने का एक ही तरीका है, अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना ताकि किसी भी बाहरी वायरस से शरीर खुद की रक्षा कर सके।
एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी चिकित्सा समेत रोग उपचार की तमाम पद्धतियां इसी बात पर जोर दे रही है कि मनुष्य को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात् इम्युनिटी बढ़ाने की जरूरत है। सभी पैथियां अपने सुझाव दे रही हैं। ऐसे में भारतीय ज्योतिष चिकित्सा भी पीछे नहीं है।
सदियों से हिंदू पूजा पद्धति का प्रमुख भाग रहा रूद्राक्ष भी इम्युनिटी मजबूत करता है, यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी। रूद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के नेत्रों से अश्रु गिरने से हुई मानी जाती है। रूद्राक्ष 1 मुखी से लेकर 21 मुखी तक होते हैं। प्रत्येक रूद्राक्ष का अपना महत्व है। यहां यदि हम बात करें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की तो इसमें चार मुखी रूद्राक्ष को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
चार मुखी रूद्राक्ष के लाभ 

  • चार मुखी रूद्राक्ष को जीवन के चार पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति करवाने वाला कहा गया है। अर्थात् चार मुखी रूद्राक्ष धारण करने से मनुष्य को आध्यात्मिक लाभ, आर्थिक लाभ, शारीरिक सुख और मोक्ष प्राप्त होता है। इसे पहनने से शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता भी मजबूत होती है। 
  • चार मुखी रूद्राक्ष को गले में धारण करने से यह शरीर के सातों चक्रों में प्राण वायु का संचार कर उन्हें जाग्रत करता है, जिससे मनुष्य के लिए कुछ भी असंभव नहीं रह जाता है। 
  • यह शरीर में ऐसी ऊर्जा तरंगों का प्रवाह करता है, जो किसी भी रोग को पनपने नहीं देता, खासकर बाहरी बैक्टीरिया, जीवाणु, विषाणु शरीर पर अपना बिलकुल भी प्रभाव नहीं दिखा पाते। 
  • यह श्वसन संबंधी रोगों से बचाव करता है। फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि करता है। 
  • यह रूद्राक्ष शरीर के औरा अर्थात् आभामंडल को शुद्ध करता है। जिससे आध्यात्मिक उन्नति तेजी से होती है और मन-मस्तिष्क सकारात्मक ऊर्जा से भरे रहते हैं। 

कैसे करें धारण 

  • चार मुखी रूद्राक्ष को किसी भी दिन शुभ मुहूर्त में पहना जा सकता है। धारण करने से पहले गंगाजल से शुद्ध कर लें। पूजा स्थान में भगवान शिव की फोटो या शिवलिंग से स्पर्श करवाते हुए रखें। 
  • इसके बाद इसे लाल धागे में गले में पहना जा सकता है। धागे की लंबाई इतनी रखें कि यह थ्रोट चक्र से स्पर्श करता रहे। इससे श्वसन संबंधी रोग दूर होते हैं। 
  • यदि हृदय संबंधी रोग है तो धागे की लंबाई इतनी रखें कि रूद्राक्ष का स्पर्श दोनों वक्ष स्थल के मध्य में हो। 
  • शरीर से स्पर्श करते रहने से यह हर प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस से बचाव करता है। 
  • यह शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। मानसिक शक्ति मजबूत होती है जो आपको प्रत्येक रोग से लड़ने और उससे बचाव की ताकत देती है।
     

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