
कैंची धाम के मालपुआ के लिए केदारनाथ व बदरीनाथ मंदिर ने सहमति दी
नईदिल्ली [ महामीडिया] महान संत नीब करौरी महाराज के कैंची धाम आश्रम (नैनीताल) का महाप्रसाद मालपुआ अब भारतीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण से प्रमाणित होगा। खाद्य सुरक्षा विभाग प्रमाणीकरण की पूरी प्रक्रिया अपनाने के बाद महाप्रसाद को प्रमाणित करेगा। उत्तराखंड में अब तक हरिद्वार के चंडी देवी मंदिर व गीता कुटीर तपोवन के प्रसाद को एफएसएसएआइ की मान्यता मिल चुकी है। वहीं केदारनाथ व बदरीनाथ मंदिर ने भी प्रमाणीकरण के लिए सहमति दी है।भगवान को पसंद स्वच्छ प्रसाद (भोग) अभियान के तहत प्रदेश के प्रमुख मंदिरों के भोग (भंडारे का विशेष प्रसाद) को प्रमाणित किया जा रहा है। इस संबंध में देश-विदेश में प्रसिद्ध कैंची धाम प्रबंधन से विभागीय अधिकारियों की शुरुआती बातचीत हो चुकी है। कैंची धाम में मालपुए का भोग खासतौर पर 15 जून को मंदिर के स्थापना दिवस पर लगता है। जिसके लिए देश-विदेश से बाबा के भक्त यहां आते हैं और यहां से प्रसाद साथ ले भी जाते हैं। इस कड़ी में कोटद्वार के सिद्धबली मंदिर के प्रसाद के प्रमाणीकरण के लिए भी सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है। केदारनाथ व बदरीनाथ मंदिर समिति ने भी प्रमाणीकरण के लिए सैद्धांतिक सहमति जताई है। हल्द्वानी-अल्मोड़ा हाईवे पर नैनीताल से 17 किमी और भवाली से नौ किमी की दूरी पर कैंची धाम स्थित है। 15 जून को यहां बृहद मेला आयोजित होता है। जिसमें करीब चार से पांच लाख बाबा के भक्त पहुंचते हैं। भक्तों के लिए आटा, घी और मेवों से मालपुआ बनाने की तैयारी करीब एक महीने पहले से होने लगती है। मेल से दस दिन पहले ही मालपुए घी में तले जाने लगते हैं।एफएसएसएआइ की टीम प्रसाद बनाने की पूरी प्रक्रिया का निरीक्षण करती है। यह सुनिश्चित होता है कि प्रसाद स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह सुरक्षित व स्वच्छ बन रहा है। इसमें किचन, गुणवत्तायुक्त सामग्री की उपलब्धता, उपयोग होने वाली सामग्री आदि देखी जाती है। इसके लिए कर्मचारियों को खाद्य सुरक्षा को लेकर प्रशिक्षित किया जाएगा। हर साल इसका भौतिक सत्यापन होगा। कोई कमी मिलने पर उसे दूर किया जाएगा।