अमोघ रक्षाकवच है महामृत्युंजय महामंत्र

अमोघ रक्षाकवच है महामृत्युंजय महामंत्र

भोपाल [ महामीडिया ]कैलाशपति महादेव को भोले भंडारी भोलेनाथ कहा जाता है। क्योंकि वो अपने भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और मात्र छोटे से उपाय से वो उनकी बड़ी से बड़ी मनोकामना को पूर्ण करते हैं। भगवान शिव की उपासना से भक्तों के कष्टों का नाश होता है और सुख-संपत्ति के साथ आरोग्य और अंत में मोक्ष का वरदान मिलता हैमहादेव के अनेक सिद्ध मंत्र हैं, जिनके जाप से भक्तो की मनचाही मुराद पूरी होती है। महादेव का एक ऐसा ही अमोघ रक्षाकवच है महामृत्युंजय मंत्र, जिसके जप से सुख-समृद्धि के साथ बेहतर स्वास्थ्य का वरदान शिव भक्त को मिलता है। अन्नत ऊर्जा और अपार शक्ति से भरपूर इस मंत्र को माना जाता है। सृष्टि में महादेव को सर्वशक्तिमान और ब्रह्माण्ड का स्वामी माना जाता है। इसलिए भगवान शिव के इस मंत्र को महामंत्र का संज्ञा दी गई है। इस मंत्र का प्रयोग कई तरह से किया जाता है।
एकाक्षरी महामृत्युंजय मंत्र - 'हौं'
उत्तम स्वास्थ्य के लिए ब्रह्म मुहूर्त में इस मंत्र का जाप किया जाता है। इससे महादेव के वरदान से शरीर स्वस्थ्य और सेहत दुरुस्थ रहती है।
त्रयक्षरी महामृत्युंजय मंत्र - 'ऊं जूं स:'
कोई सामान्य रोग यदि लंबे समय से परेशान कर रहा हो तो इस मंत्र का जाप रात्रि में सोने पहले कम से कम 27 बार करें। इससे शिवकृपा मिलती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
चतुराक्षी महामृत्युंजय मंत्र - 'ओम हौं जूं स:'
जब आपकी कुंडली में किसी खतरनाक दुर्घटना के या किसी गंभीर बीमारी की अवस्था में सर्जरी के योग हों, तब ऐसी अवस्था में इस तरह के योग को टालने के लिए सुबह शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद इस मंत्र की तीन माला का जाप करें।
दशाक्षरी महामृत्युंजय महामंत्र - 'ओम जूं स: माम पालय पालय'
कुंडली में अल्पायु योग या स्वास्थ्य की गंभीर समस्या होने पर इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार होने के साथ वह लंबी उम्र को प्राप्त करता है। इस मंत्र को अमृत मृत्युंजय मंत्र भी कहा जाता है।
मृत संजीवनी महामंत्युंजय मंत्र -
ओम हौं जूं सः ओम भूर्भुवः स्वः
ओम त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात्
ओम स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ओम !!
महामृत्युंजय मंत्र का जाप विधिपूर्वक करने से गंभीर रोग से फायदा होता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इसके जाप से कष्टों का नाश होता है और सुखों की प्राप्ति होती है।

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