सावन महीने में अष्टलक्ष्मी पूजन का विधान

सावन महीने में अष्टलक्ष्मी पूजन का विधान

भोपाल [ महामीडिया] सावन महीने में देवी के वरलक्ष्मी रूप की पूजा करने से अष्टलक्ष्मी पूजन का फल मिल जाता है। इस दिन व्रत करने और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से दरिद्रता दूर होने और सुख-समृद्धि बढ़ने की मान्यता है ये व्रत महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में खासतौर से किया जाता है। उत्तर भारत और देश में अन्य जगहों पर आमतौर से सावन महीने में देवी लक्ष्मी पूजा नहीं की जाती है।सावन महीने के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को देवी के वरलक्ष्मी रूप की पूजा करने को विशेष शुभ फलदायी माना गया है। इस दिन सुबह जल्दी और शाम को प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त के वक्त लक्ष्मी की पूजा करने का विधान बताया है।इस दिन क्षीर सागर में कमल के फूल पर सफेद कपड़ों में हाथ में कमल का फूल धारण किए बैठी देवी वरलक्ष्मी के ऐसे रूप की पूजा करना चाहिए। ऐसा करने से स्थिर लक्ष्मी और अचल संपत्ति प्राप्त होती है। इस तरह लक्ष्मीजी की पूजा करने वाले को जीवनभर पैसों और सुख की कमी नहीं रहती है।

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