नासिक का त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग 

नासिक का त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग 

 भोपाल  [ महामीडिया]  भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है त्र्यंबकेश्वर मंदिर । त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक के पास गोदावरी तट पर स्थित है.। इस मंदिर में लोग कालर्सप दोष के निवारण के लिए विधि वत पूजा करते हैं। मंदिर के अंदर तीन छोटे-छोटे शिवलिंग है जो त्रिदेव यानी कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माने जाते हैं। इस लिंग के चारों तरफ एक रत्न से जड़ा हुआ मुकुट त्रिदेव के मुखोटे के रुप में स्थित है। परंपरा के अनुसार भक्त इस मुकुट के दर्शन सिर्फ सोमवार को कर सकते हैं।त्र्यबंकेश्वर मंदिर के पास तीन ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और गंगा द्वार पर्वत मौजूद हैं। ब्रह्मगिरी को शिव स्वरूप माना जाता है, नीलगिरी पर्वत पर नीलाम्बिका देवी और दत्तात्रेय गुरु का मंदिर है। वहीं गंगा द्वार पर्वत पर देवी गोदावरी यां गंगा का मंदिर है।प्राचीन काल में ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी अहिल्या के पति ऋषि गौतम तपस्या करते थे। गौतम ऋषि से यहां मौजूद बाकी लोग ईर्ष्या करते थे। एक बार सभी ऋषियों ने छल से गौतम ऋषि पर गौहत्या का आरोप लगा दिया। अन्य ऋषियों ने कहा कि इस हत्या के पाप का प्रायश्चित करना है तो देवी गंगा को यहां लेकर आना होगा। गौतम ऋषि ने पाप से मुक्ति पाने के लिए पार्थिव शिवलिंग की स्थापना की और प्रत्येक दिन भक्ति भाव से पूजन करने लगे। देवी पार्वती और भगवान शंकर ऋषि की सच्ची श्रृद्धा देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें साक्षात दर्शन दिए। भगवान शिव ने गौतम  ऋषि से वरदान मांगने को कहा। गौतम ऋषि ने गंगा माता को यहां उतारने का वर मांगा। देवी गंगा ने कहा कि अगर महादेव यहां निवास करेंगे तो तभी वो यहां आएंगी। गंगा जी की इच्छा को स्वीकार करते हुए  शिवजी त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो गए। गंगा नदी गौतमी (गोदावरी)के रूप में वहां बहने लगीं।
 

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