जगन्नाथ पुरी में 12 जुलाई को रथ यात्रा

जगन्नाथ पुरी में 12 जुलाई को रथ यात्रा

 गुरुग्राम [ महामीडिया ] जगन्नाथ पुरी में होने वाली प्रसिद्ध रथ यात्रा के लिए श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने साल 2021 का शेड्यूल जारी कर दिया है। मंदिर प्रशासन ने रविवार को रथ यात्रा और उसके साथ होने वाले अन्य कार्यक्रमों का शेड्यूल जारी किया है। मंदिर प्रशासन और सेवकों के सर्वोच्च मंदिर निकाय छत्तिसा निजोग के बीच हुई बैठक के बाद यह तय किया गया है कि रथ यात्रा और अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने वाले सभी लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लगवाना जरूरी होगा या फिर उन्हें RT-PCR टेस्ट कराना होगा। किसी भी कार्यक्रम में भक्तों को आने की अनुमति नहीं होगी। क्योंकि भीड़ जमा होने पर तेजी से कोरोना फैलने का खतरा है।मीटिंग के बाद बताया गया कि सभी कार्यक्रमों में सिर्फ पुजारी और मंदिर के अधिकारी ही शामिल होंगे। स्नान यात्रा के दौरान मंदिर के आसपास धारा 144 लागू रहेगी। पुरी के मजिस्ट्रेट और कलेक्टर समर्थ वर्मा ने बताया कि भगवान बलभद्र और देवी शुभद्रा की स्नान यात्रा के दौरान मंदिर के सामने ग्राउंड रोड में किसी को आने-जाने की अनुमति नहीं होगीस्नान पूर्णिमा 24 जून को रात 1 बजे पहांडी के साथ शुरू होगी और सुबह 4 बजे तक खत्म हो जाएगी। इसके बाद 'छेरा-पहंरा की रस्म होगी। इसका समय सुबह 10 बजकर 30 मिनट रखा गया है। दोपहर में 11 से 12 बजे के बीच भगवान का गजानन बेसा या हाथी बेसा से सिंगार किया जाएगा। इसके बाद मंदिर के देवी देवता बीमार होकर अनासार में चले जाएंगे। ऐसा माना जाता है कि नहाने के बाद देवी देवता बीमार हो जाते हैं। नहाने के बाद देवी देवताओं को अनासार घर ले जाने की रस्म शाम 5 बजे से 8 बजे के बीच होगी। इसी दिन से अनासार की रस्में शुरू होंगी और अगले 15 दिन तक जारी रहेंगी।जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने कहा कि रथ यात्रा 12 जुलाई को निकाली जाएगी। इसमें किसी भी भक्त को शामिल नहीं किया जाएगा। इस भगवान का रथ ग्राउंड रोड में खींचा जाता है। पुजारी इसे खींचकर गुंदिचा मंदिर ले जाते हैं, जहां एक हफ्ते तक रुकने के बाद भगवान वापस आते हैं। रथ यात्रा की रस्में 12 जुलाई को सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर शुरू होंगी और शाम 4 बजे पुजारी रथ को खींचना शुरू करेंगे। 21 जुलाई को शाम 4 बजे से रात 11 बजे के बीच भगवान का स्वर्ण से सजाया जाएगा और 23 जुलाई को शाम 4 बजे से रात 10 बजे के बीच उन्हें मुख्य मंदिर में वापस लाया जाएगा। सभी रस्मों में कम से कम सेवकों को शामिल किया जाएगा।

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