छड़ी मुबारक पहुंची शंकराचार्य मंदिर

छड़ी मुबारक पहुंची शंकराचार्य मंदिर

श्रीनगर[ महामीडिया ]  डल झील के किनारे स्थित गोपाद्री पर्वत के शिखर पर शंकराचार्य मंदिर में भगवान अमरनाथ की पवित्र छड़ी मुबारक पहुंचने पर हर-हर महादेव और जय बाबा बर्फानी के जयघोष से पूरा वातावरण शिवमय हो गया। दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरि की अगुवाई में पवित्र छड़ी मुबारक में भगवान शिव का जलाभिषेक और पूजा-अर्चना की गई। इसके साथ ही समस्त विश्व समुदाय को कोविड-19 के प्रकोप से बचाने, राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सभी के लिए सुख-समृद्धि की कामना की गई।कोविड-19 से पैदा हालात को देखते हुए प्रदेश प्रशासन ने श्री बाबा अमरनाथ की तीर्थयात्रा को फिलहाल स्थगित कर रखा है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड से जुड़े सूत्रों के अनुसार यात्रा को लेकर अगले दो दिन में ही अंतिम फैसला लिए जाने की उम्मीद है। इस साल यह तीर्थयात्रा 23 जून को शुरू होने वाली थी, लेकिन इसको लॉकडाउन के चलते स्थगित कर दिया गया था। प्रदेश प्रशासन अब आम श्रद्धालुओं के लिए इस यात्रा को बालटाल के मार्ग से ही शुरू करने पर विचार कर रहा है। कहा जा रहा है कि यात्रा 21 जुलाई को प्रारंभ की जा सकती है, लेकिन सोमवार तक प्रशासन ने इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया था।महंत दीपेंद्र गिरी के नेतृत्व में शंकराचार्य मंदिर में पौराणिक मान्यताओं के अनुरूप वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ छड़ी मुबारक ने भगवान शंकर की पूजा की। करीब डेढ़ घंटे तक अनुष्ठान चलता रहा। इसके बाद छड़ी मुबारक अपने विश्राम स्थल दशनामी अखाड़ा में चली गई। महंत दीपेंद्र गिरि ने कहा कि सोमवार को हरियाली अमावस्या थी। जब से श्री अमरनाथ यात्रा चली आ रही है, तभी से पवित्र छड़ी मुबारक भगवान अमरनाथ की पवित्र गुफा की तरफ प्रस्थान करने से पहले शंकराचार्य मंदिर में पूजन के लिए जाती है।कोविड-19 के संकट को देखते हुए शंकराचार्य मंदिर में बहुत कम संत महात्माओं और श्रद्धालुओं को पूजा में शामिल होने की इजाजत दी गई। जो भी लोग पूजा में शामिल हुए, उन्होंने प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों का पूरी तरह से पालन किया।महंत दीपेंद्र गिरि ने कहा कि 21 जुलाई को छड़ी मुबारक हारी पर्वत पर स्थित मां शारिका के मंदिर में पूजन के लिए जाएगी। मां शारिका भवानी श्रीनगर शहर की अधिष्ठात्री देवी हैं। यहां पूजा के बाद 23 जुलाई को दशनामी अखाड़ा अमरेश्वर धाम मंदिर में पवित्र छड़ी मुबारक की स्थापना और ध्वजारोहण होगा। 25 जुलाई को छड़ी मुबारक श्रीनगर से पवित्र गुफा के लिए प्रस्थान करेगी।समुद्रतल से करीब 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित भगवान अमरेश्वर की पवित्र गुफा की हर साल आषाढ़ पूर्णिमा के दिन से पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण पूर्णिमा तक तीर्थयात्रा का विधान है। मान्यता है यहां पर भगवान शंकर ने मां पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी। पिछले कुछ सालों के दौरान श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्या के मद्देनजर यात्रा की अवधि को एक माह से दो माह तक किया जा रहा है।

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