श्राद्ध महापर्व सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या तक
भोपाल [ महामीडिया] श्राद्ध कर्म का महापर्व पितृपक्ष 14 अक्टूबर सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या तक चलेगा। पितृ पक्ष में श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण और धूप-ध्यान आदि धर्म-कर्म संतान द्वारा किए जाते हैं पितृपक्ष में हमें अपने घर-परिवार के मृत सदस्यों का मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म करना चाहिए, ऐसा करने से पितृ ऋण उतरता है। शास्त्रों में तीन तरह के ऋण बताए गए हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। पूजा-पाठ करने से देव ऋण उतरता है। दान-पुण्य करने से ऋषि ऋण उतरता है और श्राद्ध कर्म करने से पितृ ऋण उतरता है। पितृ पक्ष में मृत गुरु, सास-ससुर, ताऊ, चाचा, मामा, भाई, बहनोई, भतीजा, शिष्य, दामाद, भानजा, फूफा, मौसा, पुत्र, मित्र का भी श्राद्ध करना चाहिए। श्राद्ध इनकी मृत्यु तिथि पर करना चाहिए। अगर किसी की मृत्यु तिथि मालूम न हो तो सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या (14 अक्टूबर) पर श्राद्ध कर्म करना चाहिए।