सोमनाथ मंदिर का नामकरण 

सोमनाथ मंदिर का नामकरण 

भोपाल [ महामीडिया] हिन्दू ग्रंथों के अनुसार सोम अर्थात चन्द्र ने  भगवान शिव की आराधना की। शिव प्रसन्न हुए । सोम के कष्ट को दूर करने वाले प्रभु शिव का स्थापन जहां करवाया गया उनका नामकरण ‘सोमनाथ’ हुआ। सर्वप्रथम एक मंदिर ईसा के पूर्व अस्तित्व में था जिस जगह पर द्वितीय बार मंदिर का पुनर्निर्माण सातवीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने किया। आठवीं सदी में सिन्ध के अरबी गवर्नर जुनायद ने इसे नष्ट करने के लिए सेना भेजी। गुर्जर प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में इसका तीसरी बार पुनर्निर्माण किया। इस मंदिर की महिमा और कीर्ति दूर-दूर तक फैली थी। अरब यात्री अल-बरुनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका विवरण लिखा जिससे प्रभावित हो महमूद गजनबी ने सन 1024 में पांच हजार सिपाहियों की सेना लेकर सोमनाथ मंदिर पर हमला किया। उसकी सम्पत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया।इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया। सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर कब्जा कर लिया तो इसे पांचवीं बार गिराया गया। औरंगजेब ने इसे पुन: 1706 में गिरवा दिया। इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया। मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक स्तंभ है। उसके ऊपर एक तीर रखकर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच में पृथ्वी का कोई भूभाग नहीं है। इस स्तम्भ को ‘बाणस्तम्भ’ कहते हैं।

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