तीज-त्यौहारः साल की पहली विनायक चतुर्थी आज

तीज-त्यौहारः साल की पहली विनायक चतुर्थी आज

भोपाल (महामीडिया) पौष मास शुक्लपक्ष की गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी एवं वरद चतुर्थी भी कहते हैं. नये साल की पहली गणेश चतुर्थी होने के कारण इसका विशेष महत्व बताया जा रहा है. आज विनायक चतुर्थी मनाई जायेगी. इस दिन विघ्नहर्ता श्रीगणेश जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. जानते हैं कि नए साल की पहली विनायक चतुर्थी व्रत, पूजा मुहूर्त 
पौष विनायक चतुर्थी का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार विनायक चतुर्थी का व्रत, पूजा एवं कथा पढ़ने अथवा सुनने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जीवन में सुख, समृद्धि, शुभता एवं सौभाग्य में वृद्धि होती है. यह व्रत फलाहार होता है, इसलिए दिन में एक बार फलाहार किया जा सकता है. पौष मास स्नान-दान के लिए सबसे पवित्र माह माना जाता है, इसलिए इस माह विनायक चतुर्थी होने के कारण व्रत का महात्म्य कई गुना बढ़ जाता है.
विनायक चतुर्थी पूजा विधिः
विनायक चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ-सफाई के बाद स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान श्रीगणेश का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें और अपनी मनोकामना व्यक्त करें. इसके पश्चात पंचोपचार विधि से भगवान श्रीगणेश जी की पूजा प्रारंभ करें. सर्वप्रथम गणेश जी को रोली एवं अक्षत का तिलक लगायें. उन्हें 21 गांठ दूर्वा अर्पित करते हुए लाल पुष्प चढ़ाएं. प्रसाद में मौसमी फल एवं मोदक चढ़ाएं. मान्यता है कि दूर्वा और मोदक अर्पित करने से भगवान गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है. पूजा के दौरान निरंतर इस मंत्र का जाप करते रहें. 
ॐ गं गणपतयै नम:
इसके बाद गणेश चालीसा का पाठ करें और पूजा पूरी होने के बाद बाद यह मंत्र जपते हुए धन-धान्य, निरोगता एवं शुभता के लिए प्रार्थना करें.
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात।
इसके पश्चात गणेश जी की आरती उतारते हुए पूजा का समापन करें. गणेश चतुर्थी की एक बार पूजा शाम के समय भी करनी चाहिए. अगले दिन प्रातःकाल स्नान-दान के पश्चात भगवान श्रीगणेश जी का ध्यान कर व्रत का पारण करें.
विनायक चतुर्थी तिथि एवं पूजा मुहूर्त
विनायक चतुर्थी प्रारंभः 02.34 PM (05 जनवरी से प्रारंभ हो चुकी है) 
विनायक चतुर्थी समाप्तः12.29 AM (06 जनवरी) तक
 

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