तीज-त्योहारः कार्तिक स्नान और व्रत का महत्व

तीज-त्योहारः कार्तिक स्नान और व्रत का महत्व

भोपाल (महामीडिया) भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शास्त्रों में कार्तिक स्नान का बड़ा महत्व बताया गया है। इस बार कार्तिक स्नान आश्विन माह की पूर्णिमा 20 अक्टूबर से शुरू हो चुका है जो कि 19 नवंबर 2021 तक किया जाएगा। कार्तिक माह में व्रत, तप, दान-पुण्य, पवित्र नदियों में स्नान और मंत्र जप आदि का विशेष महत्व होता है। इस माह के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि जो मनुष्य कार्तिक माह में व्रत, तप, मंत्र जप, दान-पुण्य और दीपदान करता है वह जीवित रहते हुए पृथ्वी पर समस्त सुखों का भोग करता है और मृत्यु के पश्चात भगवान विष्णु के परम धाम बैकुंठ में निवास करता है।
कार्तिक स्नान और कार्तिक व्रत का महत्व
जो मनुष्य कार्तिक स्नान करना चाहता है और कार्तिक माह के व्रत रखना चाहता है उसे विशेष नियमों का पालन करना होता है। इस माह में सूर्योदय से पूर्व तारों की छाया में स्नान करने और सायंकाल में तारों की छाया में भोजन किया जाता है। इसे तारा स्नान और तारा भोजन कहा जाता है। पुराणों में इस तरह के स्नान को पापों से मुक्त करने वाला और कई पवित्र स्नानों के बराबर फल देने वाला बताया गया है। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने की भी मान्यता है। इससे समस्त प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। कार्तिक माह में प्रतिदिन सूर्योदय पूर्व और संध्याकाल में किया गया स्नान एक हजार बार गंगा स्नान के बराबर फल देने वाला माना गया है।
कार्तिक मास में तुलसी पत्र से श्री विष्णु की पूजा करने से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं। पूरे कार्तिक में शाम के समय तुलसी के पौधे में घी का दीपक जरूर जलाना चाहिए। इससे घर की सुख-समृद्धि बनी रहती है। तुलसी अर्चना से न केवल स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्यायें दूर होती हैं, बल्कि अर्थ, काम और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। इसके अलावा कार्तिक में सुबह उठकर तुलसी दल का सेवन भी बड़ा ही लाभकारी होता है।
कार्तिक व्रत पूर्ण होने पर क्या करें
जो लोग कार्तिक का व्रत रखते हैं उन्हें इसके पूर्ण होने पर उजमना करना होता है। व्रत के अंतिम दिन अर्थात् कार्तिक पूर्णिमा पर उजमना करते हैं। उजमना में पांच सीधे, पांच सुराही किसी ब्राह्मण को दान दिए जाते हैं। एक साड़ी पर समस्त सुहाग सामग्री, रुपये रखकर सास या सास के समान किसी महिला के चरण स्पर्श करके भेंट देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
क्या विशेष करें

  • कार्तिक माह में प्रतिदिन तुलसी के पौधे में प्रात:काल जल अर्पित करने और सायंकाल में तुलसी के समीप दीप प्रज्जवलित करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
  • इस माह में पवित्र नदियों में स्नान करने से अनजाने में किए गए पापों का प्रायश्चित होता है और मृत्यु पश्चात मोक्ष प्राप्त होता है।
  • कार्तिक माह में मंत्र जल्द सिद्ध होते हैं। मंत्र सिद्धि का उत्तम समय ब्रह्म काल होता है।
  • साहस, निडरता, बुरी नजरों से मुक्ति और जन्मकुंडली के समस्त दोषों के निवारण के लिए कार्तिक माह में गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करें।
  • भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। धन-संपत्ति की प्राप्ति और भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए प्रतिदिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
  • मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कार्तिक माह में श्रीसूक्त के पाठ भी किए जाते हैं।
  • इस माह में अपने तन-मन के साथ अपने आसपास के परिवेश को भी साफ-स्वच्छ रखना चाहिए। इससे लक्ष्मी प्रसन्न होती है।

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