भाद्रपद की अमावस्या को विष्णु जी और लक्ष्मी जी के अभिषेक का विधान
भोपाल [ महामीडिया] गुरुवार, 14 सितंबर और शुक्रवार, 15 सितंबर को भाद्रपद की अमावस्या है। तिथियों की घट-बढ़ की वजह से दो दिन ये तिथि रहेगी। इसे कुशग्रहणी अमावस कहते हैं, क्योंकि इस दिन साल भर के लिए कुश घास इकट्ठा की जाती है। पूजा-पाठ, धूप-ध्यान के नजरिए से इस अमावस्या का महत्व एक पर्व की तरह ही है। अमावस्या पर देवी-देवताओं की पूजा के साथ ही पितरों के लिए धूप-ध्यान, श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि शुभ काम जरूर करे सुबह देवी-देवताओं की पूजा करें, दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान और और शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं।अमावस्या की सुबह जल्दी उठें और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें। लोटे में पानी के साथ फूल और चावल भी जरूर डालें। भाद्रपद अमावस्या तिथि की शुरुआत 14 सितंबर 2023 को सुबह 04.48 मिनट पर होगी और इसकी समाप्ति 15 सितंबर 2023 को सुबह 07.09 मिनट पर होगी. उदयातिथि के अनुसार 14 और 15 सितंबर दोनों दिन अमावस्या का स्नान, पितरों के निमित्त पूजा की जाएगी