रहस्यमयी है नागा साधुओं की दुनिया, इनके तप के आगे झुक जाते हैं भक्त

रहस्यमयी है नागा साधुओं की दुनिया, इनके तप के आगे झुक जाते हैं भक्त

भोपाल [माहमीडिया] नागा साधु... माथे पर तिलक, शरीर पर भस्म और बोल बम के साथ साधना। इनका तेज और तप ऐसा कि भक्त भी नतमस्तक हो जाते हैं। धरती इनका आसन है और आसमान इनका छत्र, इसके अलावा इनके पास ऐसा कुछ भी नहीं दिखता जो इनकी सुविधा में शामिल हो। खुद को तपा कर तेज धारण करना ही साधना है। गर्मी हो या ठंड हमेशा धूनी के सामने साधनारत। तपस्या से लोगों को अपनी तरफ आकर्षण करने वाले ये नागा साधु इन दिनों ग्वारीघाट गीताधाम के सामने नर्मदा गो कुंभ 2020 में धुनी रमाए बैठे हैं। जब लोगों को दोपहर में धूप तेज लगती है तब ये नागा साधु अपने आसपास कंडे में आग लगाकर साधना करते हैं। इनकी यही साधना भक्तों को भी इनके पास पहुंचा देती है। न ज्यादा बात करना और न लोगों को पास आने देना। अपने में मस्त ये साधु भक्तों को दिनभर आशीर्वाद दे रहे हैं।नर्मदा कुंभ के दौरान अलग-अलग अखाड़ों से आए इन साधुओं की दिनचर्या भी अलग-अलग है। कोई दिन में तप करता है तो कोई रात में। कोई धूनी रमाए बैठा है तो कोई भक्तों की समस्याओं के निराकरण का उपाय बता रहे हैं।नागा साधुओं से युवाओं को ज्यादा आस है। कोई बेरोजगारी से निदान पाने के लिए चर्चा करता है तो कोई सांसारिक परेशानी का समाधान पूछता है। यह नहीं बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता ऐसा सवाल भी मां-बाप करते देखे जा रहे हैं। भले ही नागा साधु वैराग्य मार्ग पर चलते हैं लेकिन इनके सबसे ज्यादा भक्त सांसारिक होते हैं।सनातन धर्म के प्रचार और प्रसार में आदि शंकराचार्य द्वारा चार पीठों- दक्षिण में श्रृंगेरी, पूर्व में ओडिसा जगन्नाथपुरी में गोवर्धन पीठ, पश्चिम में द्वारिका शारदा पीठ और उत्तर में बद्रिकाश्रम ज्योतिष पीठ की स्थापना की गई। इन चारों पीठों की रक्षा के निमित्त अखाड़ों का गठन किया गया। प्रमुख तौरपर 13 अखाड़े हैं जिनमें 7 शैव, 3 वैष्णव संप्रदाय और 3 उदासीन अखाड़े हैं।
-जूना अखाड़ा (श्री पंच दशनाम अखाड़ा) - यह सबसे पुराना अखाड़ा माना जाता है, इसके इष्टदेव रूद्रावतार दत्तात्रेय हैं।
- अटल अखाड़ा (श्री पंच अटल अखाड़ा) - इनके इष्टदेव गणेश भगवान हैं। यह अखाड़ा 569 ई. में गोंडवाना क्षेत्र में स्थापित किया गया था।
- आवाहन अखाड़ा (श्री पंच दशनामी आव्हान अखाड़ा) -यह 646 ई. में स्थापित हुआ। 1603 में पुनर्संयोजित किया गया। इनके इष्टदेव दत्तात्रेय और गजानन भगवान हैं।
- निरंजनी अखाड़ा (श्री पंचायती तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा) -इसकी स्थापना 826 ई. में इष्टदेव कार्तिकेय भगवान ने की।
- पंचाग्नि अखाड़ा (श्री पंच अग्नि अखाड़ा) - इसकी स्थापना 1136 ई. में की गई। इनकी इष्टदेव गायत्री माता हैं।
- महानिर्वाणी अखाड़ा (श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा) - इसकी स्थापना 681 ई. में की गई। इसके इष्टदेव कपिल मुनि हैं।
- निर्मोही अखाड़ा (श्री रामानंदीय निर्मोही अनि अखाड़ा) - वैष्णव संप्रदाय के तीनों अनि अखाड़ों में इसी अखाड़े में सबसे ज्यादा अखाड़े शामिल हैं। इनकी संख्या 9 है। इस अखाड़े की स्थापना 1720 ई. में स्वामी रामानंद दास महाराज ने की थी।
- श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा - इसके संस्थापक श्री चंदाचार्य उदासीन हैं। इस अखाड़े में 4 महंत होते है जो कभी सेवानिवृत्त नहीं होते।
- श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा - इस अखाड़े में 8 से 12 वर्ष के बाल योगी को ही नागा बनाया जाता है।
- निर्मल अखाड़ा (श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा) - इसकी स्थापना 1784 ई. में की गई। श्री गुरुग्रंथ साहिब पोथी ही इष्टदेव रूप में है। इनके यहां धूमपान में पाबंदी है।
- श्री पंच दिगंबर अनि अखाड़ा - इस अखाड़े में सबसे ज्यादा खालसा हैं। इसे वैष्णव संप्रदाय में राजा अखाड़ा कहा जाता है।

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