शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी की उपासना फलदायक होती है

शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी की उपासना फलदायक होती है

भोपाल  [ महामीडिया] शरद पूर्णिमा का पर्व शुक्रवार, 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस वर्ष चंद्रमा सोलह कला से पूर्ण होकर अमृत बरसाएगा। यही कारण है कि इस दिन चंद्रमा की चांदनी को इतना महत्व दिया जाता है। इस मौके पर खीर वितरण के साथ महालक्ष्मी पूजन, महारास, भजन संध्या के आयोजन होंगे। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अमृत बरसता है जिसके खीर में सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कला में होता है। इसलिए खुले आसमान के नीच खीर रखकर रात 12 बजे बाद इसका सेवन किया जाता है। इसी दिन कोजागरी लक्ष्मीदेवी की पूजा भी की जाती है और खरीदी भी विशेष फलदायी होती है।वैदिक ज्योतिष विज्ञान में मन का स्वामी चन्द्रमा को माना गया है। ज्योतिष विज्ञान की खोजें भी इस बात की पुष्टि करती हैं कि चन्द्रमा यदि दोषयुक्त है तो व्यक्ति का मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता है। यदि मानसिक रोगों से ग्रस्त व्यक्ति के जीवन में चन्द्रमा और अमावस्या इन दो तिथियों पर विशेष ध्यान देकर उसके व्यवहार को आंका जा सके, तो विज्ञान कहता है ऐसे मानसिक रोगियों को सदा के लिए ठीक किया जा सकता है। इस दिन और खासतौर पर रात में बुराइयों से दूर रहना चाहिए। शराब का सेवन न करें। इसके स्थान पर औषधियों से बने दूध का सेवन करने से सेहत को लाभ होगा।आयुर्वेद की परंपरा में शीत ऋतु में गर्म दूध का सेवन अच्छा माना जाता है। ऐसा कह सकते हैं कि इसी दिन से रात में गर्म दूध पीने की शुरुआत की जानी चाहिए। वर्षा ऋतु में दूध का सेवन वर्जित माना जाता है।इस रात में जानगा का भी विशेष महत्व है। ज्योतिष की मान्यता अनुसार संपूर्ण वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर धरती पर अपनी अद्भुत छटा बिखेरता है। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के अत्यंत समीप आ जाता है। धर्म शास्त्रों में इसी दिन को 'कोजागरा व्रत' माना गया है। कोजागरा का शाब्दिक अर्थ है कौन जाग रहा? कहते हैं इस रात्रि में मां लक्ष्मी की उपासना भी फलदायक होती है क्योंकि ब्रह्मकमल भी इसी रात खिलता है।

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