इस बार पाँच माह का होगा चतुर्मास

इस बार पाँच माह का होगा चतुर्मास

भोपाल [ महामीडिया ] आषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की एकादशी बुधवार को देवशयनी एकादशी और इस सीजन का आखिरी  के साथ ही भगवान विष्णु भी योग निंद्रा में चले गए। उनके साथ सभी देव भी सो जाएंगे। साथ ही चातुर्मास भी शुरू हो गया। इससे अब अगले चार महीने और 25 दिन विवाह, सगाई, जनेऊ, मुंडन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे। फिर 25 नवंबर को जब देव उठेंगे तो सावे और शुभ कार्य शुरू हो सकेंगे। पुराणों के अनुसार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु की योग निंद्रा पूर्ण होती है।स बार आश्विन माह का अधिकमास है। मतलब दो आश्विन मास होंगे। इससे चातुर्मास 4 महीने 25 दिन का रहेगा।श्राद्ध के बाद के सारे त्योहार लगभग 20 से 25 दिन देरी से आएंगे। आमतौर पर श्राद्ध खत्म होते ही अगले दिन से नवरात्रि आरंभ हो जाती है लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।17 सितंबर को श्राद्घ खत्म होंगे और अगले दिन से अधिकमास शुरू हो जाएगा। यह 16 अक्टूबर तक चलेगा। 17 अक्टूबर से नवरात्रि आरंभ होगी। इस तरह श्राद्घ और नवरात्रि के बीच इस साल एक महीने का समय रहेगा। दशहरा 26 अक्टूबर को और दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी। 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी रहेगी और इस दिन चातुर्मास खत्म हो जाएंगे। 19 साल बाद पांच माह के चातुर्मास का योग बना है। इससे पहले 2001 में बना था।पाताल लोक के अधिपति राजा बली ने भगवान विष्णु से पाताल स्थित अपने महल में रहने का वरदान मांगा था। माना जाता है कि देवशयनी एकादशी से अगले चार महीने तक भगवान पाताल में राजा बली के महल में निवास करते हैं।अन्य मान्यताओं के अनुसार शिवजी महाशिवरात्रि तक और ब्रह्माजी शिवरात्रि से देवशयनी एकादशी तक पाताल में निवास करते हैं। करीब पांच माह बाद सूर्य देव जब तुला राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन भगवान विष्णु का शयन समाप्त होता है। इसे देवोत्थान एकादशी कहते हैं। इस दिन से फिर सभी मांगलिक कार्य पुनः प्रारंभ हो जाते हैं।पहली जुलाई से सनातन धर्मावलंबियों के शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त पर चातुर्मास के चलते ब्रेक लग जाएगा। चातुर्मास के बाद 25 नवंबर से शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त शुरू होंगे। इसके बाद इस वर्ष शादी ब्याह के 12 शुभ मुहूर्त ही बचेंगे। इसमें नवंबर में दो और दिसंबर में 10 शुभ विवाह मुहूर्त हैं।

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