मार्गशीर्ष माह की उपादेयता
भोपाल [ महामीडिया] कार्तिक माह में शरद ऋतु के खत्म होने के बाद हेमंत ऋतु शुरू हो जाती है। कार्तिक महीने के आगे आने वाले अगले महीने को अग्रहायन कहते हैं। ये महीना मार्गशीर्ष होता है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को खुद के बारे में बताते हुए कहा था कि मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूं। ये हिंदी महीना मुझे बहुत प्रिय है। इस महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होता है, इसलिए इसे मार्गशीर्ष कहा जाता है। हेमंत ऋतु और इस महीने की शुरुआत लगभग साथ ही होती है। इसे धरती पर सृजन का काल भी माना जाता है। इसी दौरान नई फसल भी आती हैं।कार्तिक महीने में भगवान विष्णु के जागने के बाद इसी महीने में शादियां और अन्य मांगलिक काम होते हैं। इसी वजह से ये महीना शुभ और बहुत खास माना जाता है। सतयुग में देवताओं ने मार्गशीर्ष महीने की पहली तिथि को ही साल का पहला दिन माना था। यानी उस वक्त नए साल की शुरुआत इसी महीने से होती थी, इसलिए इसे मार्गशीर्ष कहते हैं। इसका मतलब होता है सबसे ऊपर।इस महीने में कृष्ण पक्ष के दूसरे दिन शिव-पार्वती विवाह और शुक्ल पक्ष के पांचवे दिन राम-जानकी विवाह हुआ था। इस पवित्र महीने में देव विवाह होने के कारण सभी महीनों में इसे पहला माना जाता है।इस महीने की पूर्णिमा पर ही भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। वहीं, इस महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इस दिन गीता जयंती पर्व मनाते हैं। माना जाता है कि इस महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा में अमृत की मात्रा और बढ़ जाती है। इस दिन चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होता है। इसके देवता चंद्र ही हैं।इस महीने शंख में गंगाजल या अन्य पवित्र नदियों का जल भरकर श्रीकृष्ण का अभिषेक करने का विधान ग्रंथों में बताया है। इस महीने भगवद्गीता पढ़ने की भी परंपरा है। मार्गशीर्ष मास का आरंभ 28 नवंबर सेहो गया है और यह 6 दिसंबर तक चलेगा। इस महीने में भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों की पूजा करने का महत्व सबसे खास माना गया है। इस महीने में पूजापाठ और नियम संयम को करने से आपको विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और आपको मृत्यु के बाद बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।