ज्ञानामृत सत्संग : सिर्फ भारत ही विश्व में शांति स्थापित कर सकता है
भोपाल ( महामीडिया) महर्षि वैदिक सांस्कृतिक केंद्र अरेरा कॉलोनी भोपाल मेंआज तृतीय "ज्ञानामृत सत्संग" का आयोजन किया गया। सत्संग में नगर के विद्वान वक्ताओं तथा बुद्धिजीवियों के समूह ने भाग लिया।कार्यक्रम का शुभारंभ महर्षि उपदेशामृत प्रवाह के संकलित वीडियो के प्रसारण से हुआ जिसमें परम पूज्य महर्षि जी द्वारा भारत को जगतगुरु बनाने के महान संकल्प का उदघोष किया गया । वीडियो अंश में परम पूज्य महर्षि जी ने कहा कि "मात्र भारत ही वह राष्ट्र है जो विश्व की सामूहिक चेतना में सार्थक परिवर्तन कर विश्व शांति स्थापित कर सकता है।"
कार्यक्रम में तत्पश्चात महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के माननीय पूर्व कुलगुरु प्रो- भुवनेश शर्मा ने भावातीत ध्यान एवं योग के वैज्ञानिक आयामों पर चर्चा करते हुए कहा " योग का अर्थ है तंत्रिका तंत्र का संतुलन तथा भावतीत ध्यान का उद्देश्य है चेतना को शुद्ध करते हुए स्व में स्थित होना।" संस्थान के जैवविवधता विभाग के संयुक निदेशक, श्री डी०पी० तिवारी जी ने किचन गार्डन के बारे में अत्यंत रोचक एवं उपयोगी जानकारी देकर प्रकृति से जुड़ाव के लाभों पर चर्चा की। श्री तिवारी ने समझाया कि कियन गार्डन का प्रमुख लाभ यह है कि जैविक पद्धति से तैयार सब्जियों से न केवल स्वास्थ में सुधार होता है साथ ही स्वयं की रचनात्मकता को पल्लवित देखकर मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा होने लगता है ।
महर्षि विद्या मंदिर विद्यालय समूह के माननीय अध्यक्ष ब्रह्मचारी गिरीश जी ने प्रतिभागियों को महर्षि वैदिक स्वास्थ्य विधान से परिचित कराया तथा महर्षि वैदिक विज्ञान की मूल अवधारणाओं पर चर्चा की। ब्रह्मचारी गिरीश जी ने ज्ञानामृत सत्संग में उपस्थित सभी वक्ताओं को आध्यत्मिक जन जागरण अभियान को गति प्रदान करने हेतु सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि सतत गतिशीलता ही शांति को स्थापित कर सकती है । इसलिए जिस प्रकार महर्षि जी ने 124 से अधिक देशों को ज्ञान प्रकाश से आलोकित किया है उसी प्रकार हर सभी अपने अपने क्षेत्र में लोगों को वैदिक जीवन पद्धति की ओर ला सकें। ज्ञानामृत सत्संग महर्षि संगठन के महर्षि आध्यात्मिक जनजागरण अभियान के अंतर्गत एक चर्चा मंच है जो प्रत्येक माह के पहले और तीसरे गुरुवार को आयोजित किया जाता है । इसका उद्देश्य जनमानस में अपनी समृद्ध वैदिक जीवन पद्धति एवं संस्कृति के प्रति जागरूकता एवं गर्व का भाव विकसित करना है ।