भगवान कृष्ण से जुड़ी वस्तुओं का धार्मिक महत्व

भगवान कृष्ण से जुड़ी वस्तुओं का धार्मिक महत्व

भोपाल (महामीडिया) श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 30 अगस्‍त को मनाई जाएगी। भगवान कृष्‍ण का जन्‍म भाद्र मास के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को हुआ था। इस शुभ तिथि को भगवान कृष्‍ण के जन्‍मोत्‍सव के रूप में मनाया जाता है और इसे जन्‍माष्‍टमी कहा जाता है। 
भगवान कृष्ण 64 कलाओं के स्वामी हैं। जिनकी साधना-आराधना करने पर जीवन से जुड़े सभी पापों से मुक्ति मिलती है और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भगवान कृष्ण की साधना करने वाला साधक जीवन के सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में बैकुंठ लोक को प्राप्त होता है। किसी भी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन करते समय आपने दो चीजें हमेशा साथ में देखी होंगी। सिर पर मोरपंख और हाथों में बांसुरी। जानते हैं कि भगवान कृष्ण से जुड़ी मुरली, मोरपंख समेत अन्य चीजों का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व है।
मुरलीधर की मुरली
भगवान कृष्ण के साथ हमेशा दिखने वाली मुरली की बात करें तो यह हमें हर तरह की सीख देती है। मुरली या फिर कहें बांसुरी से हमें सबसे बड़ी सीख मीठा बोलने की मिलती है। किसी भी बांसुरी में कोई गांठ नहीं होती है, जो इस बात की सीख देती है कि अपने भीतर किसी भी प्रकार की गांठ मत रखो। दूसरों के प्रति बदले की भावना नहीं रखो। साथ ही बांसुरी के साथ विशेषता होती है कि यह बगैर बजाये नहीं बजती है। यानि जब तक ना कहा जाए तब तक मत बोलो। मुरली जब भी बजती है मधुर ही बजती है। यानि जब किसी से भी बोलो तो मीठा ही बोलो।
मुकुट में मोर पंख
भगवान श्री कृष्ण के मुकुट में हमेशा आपको मोर पंख देखने को मिलेगा। भगवान कृष्ण को गाय और मोर से बहुत घनिष्ट लगाव था। यही कारण है कि वे हमेशा अपने मुकुट में मोर पंख लगाया करते थे। हालांकि ज्योतिषविदों का मानना है कि उनकी कुंडली में कालसर्प दोष था, जिसके अशुभ प्रभाव से बचने के लिए वे हमेशा मोरपंख को धारण किया करते थे। वहीं आध्यात्मिक कारण देखें तो मोर को ब्रह्मचर्य युक्त प्राणी समझा जाता है। भगवान कृष्ण भी प्रेम में ब्रह्मचर्य की महान भावना को समाहित करते हुए प्रतीक स्वरूप मोर पंख धारण किया करते थे।
मिसरी सी मिठास
सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन किस प्रकार जिया जाए इसका सरल उदाहरण मिसरी है। मिसरी हमें लोगों के जीवन में मिठास घोलने के साथ-साथ लोगों में घुल-मिल जाने की सीख देती है। मिसरी का महत्त्वपूर्ण गुण यह है कि जब इसे माखन में मिलाया जाता है, तो उसकी मिठास माखन के कण-कण में घुल जाती है। मिसरी युक्त माखन जीवन और व्यवहार में प्रेम को अपनाने का संदेश देता है।
 

सम्बंधित ख़बरें