तीज-त्योहारः जन्माष्टमी के बाद राधा अष्टमी की तैयारी

तीज-त्योहारः जन्माष्टमी के बाद राधा अष्टमी की तैयारी

भोपाल (महामीडिया) भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए राधा अष्टमी का बहुत महत्व है क्योंकि राधा के बिना श्याम अधूरे हैं। राधारानी को ही श्रीकृष्ण अपनी शक्ति मानते थे। इसलिए अगर आप श्रीकृष्ण को समर्पित जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं तो आपको राधाष्टमी का व्रत भी जरूर रखना चाहिए। इससे जन्माष्टमी के व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी या राधा अष्टमी के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन राधा और कृष्ण की पूजा की जाती है। राधाजी सर्वतीर्थमयी एवं ऐश्वर्यमयी हैं। मान्यता है कि राधा अष्टमी का व्रत रखने वाले के घर में धन धान्य की कोई कमी नहीं रहती। इस बार ​राधा अष्टमी 14 सितंबर को पड़ रही है। 
राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त
राधा जन्माष्टमी व्रत तिथि 2021- 14 सितंबर 2021, मंगलवार
अष्टमी तिथि शुरू- 13 सितंबर 2021 दोपहर 03:10 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त- 14 सितंबर 2021 दोपहर 01:09 बजे
पूजा विधि
राधा अष्टमी के दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें और राधारानी व श्रीकृष्ण के समक्ष व्रत का संकल्प करें क्योंकि इस दिन राधा-कृष्ण की संयुक्त रूप से पूजा करना चाहिए। इसके बाद राधारानी और श्रीकृष्ण की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराकर, उनका श्रृंगार करें. सजी हुई मूर्ति को पूजा के स्थान पर चौकी आदि पर स्थापित करें. मध्यान्ह के समय धूप, दीप, अक्षत, पुष्प, फल, नैवेद्य और दक्षिणा आदि अर्पित करें। श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तोत्र का पाठ करें. श्रीकृष्ण और राधा की ​स्तुति करें और आरती करें। राधाष्टमी के दिन शुद्ध मन से व्रत नियमों का पालन करें। पूरा दिन उपवास रखें। दूसरे दिन श्रद्धापूर्वक सुहागिन महिलाओं को या ब्राह्मणों को भोजन कराएं और यथासंभव दक्षिणा प्रदान कर सम्मानपूर्व​क विदा करें। इसके बाद अपना व्रत खोलें।
राधाष्टमी का महत्व
वेद और पुराणों में राधाजी को ‘कृष्ण वल्लभा’ कहा गया है, वहीं वे कृष्णप्रिया हैं, उनकी शक्ति हैं और श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं। श्रीमद् देवी भागवत में कहा गया है कि श्री राधाजी कि पूजा के बगैर श्री कृष्ण की पूजा अधूरी है। राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है। सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य और संतान सुख प्राप्त होता है। भक्तिपूर्वक श्री राधाजी का मंत्र जाप और स्मरण व्यक्ति के लिए मोक्ष के द्वार खोलता है।
 

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