डोल ग्यारस और जलझूलनी एकादशी आज
भोपाल [ महामीडिया] भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इसे डोल ग्यारस और जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। इस बार परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 25 और 26 सितंबर को रखा जाएगा। परिवर्तिनी एकादशी के दिन सुकर्मा योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, द्विपुष्कर व रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। सुकर्मा योग 25 सितंबर को दोपहर 03:23 से अगले दिन तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग 25 सितंबर को सुबह 11:55 से प्रारंभ होगी और अगले दिन सुबह 06:11 तक रहेगा। रवि योग सुबह 06:11 से सुबह 11:55 तक रहेगा। द्विपुष्कर योग 26 सितंबर को सुबह 09:42 से देर रात 01:44 तक रहेगा। डोल ग्यारस पर शहर में अलग-अलग स्थानों पर चल समारोह निकलेंगे। अलग-अलग चल समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। इस तिथि पर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप बाल-गोपाल को एक डोल में विराजित कर शोभा यात्रा निकाली जाती है। इसलिए इसे डोल ग्यारस कहा जाता है। कृष्ण जन्म के अठारहवें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था। इसी दिन को डोल ग्यारस के रूप में मनाया जाता है। जलवा पूजन के बाद ही संस्कारों की शुरुआत होती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को डोल में बिठाकर तरह-तरह की झांकी के साथ बड़े ही हर्षोल्लास के साथ जुलूस निकाले जाते हैं। इस दिन भगवान राधा-कृष्ण के नयनाभिराम विद्युत सज्जित डोल निकाले जाते हैं। डोल ग्यारस पर मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं। इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु और उनके आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण के पूजन का विधान है।